Move to Jagran APP

वाराणसी में 14 अगस्त तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, स्वास्थ्य विभाग घर-घर पहुंचाएगा ओआरएस पैकेट

दस्त से बचाव एवं प्रबंधन को लेकर हर वर्ष की भांति इस बार भी सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ़) मनाया जा रहा है। 2 अगस्त से शुरू हुआ यह पखवाड़ा 14 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं घर-घर जाकर ओआरएस व जिंक की गोली पैकेट देंगी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 04:37 PM (IST)
इस दौरान आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं घर-घर जाकर ओआरएस व जिंक की गोली पैकेट देंगी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। दस्त से बचाव एवं प्रबंधन को लेकर हर वर्ष की भांति इस बार भी सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ़) मनाया जा रहा है। 2 अगस्त से शुरू हुआ यह पखवाड़ा 14 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं घर-घर जाकर ओआरएस व जिंक की गोली पैकेट देंगी। साथ ही दस्त से बचाव एवं प्रबंधन के बारे में जागरूकता करेंगी।

loksabha election banner

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीबी सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाल्यावस्था में दस्त के दौरान ओआरएस एवं जिंक के उपयोग के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना, पांच वर्ष तक के बच्चों के मध्य दस्त के प्रबंधन एवं उपचार के लिए गतिविधियों को बढ़ावा देना, साथ ही उच्च प्राथमिकता व अतिसंवेदनशील समुदायों में जागरूकता प्रदान करना, समुदाय स्तर पर ओआरएस एवं जिंक की उपलब्धता तथा इसके उपयोग को बढ़ावा देना एवं स्वच्छता व हाथों को साफ रखने से विभिन्न रोगों से परिवार को सुरक्षित रखने को लेकर जन जागरूक गतिविधियाँ करना है। डा. सिंह ने कहा कि सभी ब्लॉक व शहरी क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एक टीम बनाकर इस पखवाड़े का सुचारू रूप से जागरूक करें, जिससे डायरिया से होने वाले बच्चों की मौतों को रोका जा सके। इसके लिये आशाएं अपने-अपने क्षेत्र में बच्चों को चिन्हित करने का काम करेंगी और गृह भ्रमण कर ओआरएस बनाने की विधि का प्रदर्शन भी करके सिखाएंगी। सामान्य डायरिया का इलाज करने के अलावा गंभीर केस को रेफर करेंगी जिससे प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उनका सही उपचार हो सके।

नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ. एके मौर्य ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश की बाल मृत्यु दर 47 प्रति 1000 जीवित जन्म में है (एसआरएस 2018) बाल्यावस्था में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में 10 प्रतिशत मृत्यु दर के कारण होती है, जो कि देश में प्रतिवर्ष लगभग 1.2 लाख बच्चों की दस्त के कारण मृत्यु का कारण बनता है, तथा दस्त रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में सबसे अधिक है, जिसका उपचार ओआरएस एवं ज़िंक की गोली मात्र से किया जा सकता है एवं बाल मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। दस्त रोग विकासशील देशों में अधिक व्यापक रूप से मौजूद है जिसका कारण दूषित पेयजल, स्वच्छता एवं शौंचालय का अभाव तथा पाँच वर्ष तक के बच्चों का कुपोषित होना है। डा. मौर्य ने कहा कि इस अभियान के अंतर्गत आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर भ्रमण कर डायरिया से ग्रसित पाँच वर्ष से कम उम्र के एक बच्चे को दो ओआरएस पैकेट व सामान्य बच्चे को एक ओआरएस पैकेट एवं जिंक की 14 गोली देंगी। कोविड-19 को दृष्टिगत इस अभियान से संबन्धित समस्त गतिविधियों का संचालन कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि मास्क का प्रयोग, हाथों की स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन तथा सामाजिक दूरी बनाते हुये की जानी है।

ये हैं लक्षित लाभार्थी :

- जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (डीसीपीएम) रमेश कुमार वर्मा के मुताबिक इस अभियान के तहत पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों व दस्त रोग से ग्रसित बच्चों, कुपोषित बच्चों, अतिसंवेदनशील क्षेत्र जैसे शहरी मलिन बस्ती, दूर-दराज के क्षेत्र, ख़ानाबदोश, निर्माण कार्य में लगे व ईंट-भट्टे के काम करने वाले मजदूर परिवार, दस्त रोग से ग्रसित क्षेत्र, छोटे गांव व कस्बों के बच्चों को लक्षित किया गया है।

यह लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाएं :

- पानी जैसा लगातार मल का होना

- बार-बार उल्टी होना

- अत्यधिक प्यास लगना

- पानी न पी पाना

- बुखार हो

- मल में खून आ रहा हो।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.