बभनियांव में गुप्त काल के मिले प्रारंभिक शिव मंदिर का पूर्ण स्वरूप जानने की कवायद तेज
बभनियांव गांव में रविवार को पुरातत्व विभाग की टीम ने खोदाई में मिले ट्रेंच की साफ-सफाई की। गुप्त काल के मिले प्रारंभिक शिव मंदिर का पूर्ण स्वरूप जानने की कवायद तेज हो गई है।
वाराणसी, जेएनएन। बभनियांव गांव में चल रही खोदाई के दौरान पुरातत्व विभाग की टीम को शनिवार को गुप्तकाल के प्रारंभिक शिव मंदिर के स्वरूप का संकेत मिलने के बाद ही जिज्ञासा बढ़ती गई और रविवार को पूरे दिन टीम ने उक्त ट्रेंच की बड़े ही बारीकी से साफ-सफाई की। ट्रेंच की लंबाई-चौड़ाई बढ़ाकर मंदिर के प्रारंभिक व प्राचीन शिव मंदिर के पूर्ण स्वरूप को जानने के लिए पूरे दिन काम चला लेकिन सफलता नहीं मिली। वही प्रोफेसर अशोक सिंह ने शनिवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि इस तरह के शिव मंदिर का स्वरूप काशी में पहली बार देखने को मिला है जो कि अब तक काशी में कही नहीं है।
अशोक सिंह ने कहा कि वैसे पुरातत्व विभाग मिले गुप्त काल के प्रारंभिक शिव मंदिर के पूरे स्वरूप का पता लगाने के लिए अथक प्रयास कर रहे है। एक-दो दिन की खोदाई मे मिले मंदिर के पूर्ण स्वरूप का पता लगाने का दावा पुरातत्व विभाग कर रही है, वही काशी के सबसे प्राचीन के सबसे शिव मंदिर के संकेत को लेकर बभनियांव सहित आस-पास के लोगों के अंदर दिन भर कौतूहल बना रहा। ग्रामीणों ने भी पुरातत्व विभाग से मिले मंदिर के स्वरूप के बारे मे बार-बार जानकारी लेना चाह रहे थे।
बभनियांव गांव में चल रही खोदाई में शनिवार को पुरातत्व विभाग की टीम को बड़ी कामयाबी मिली थी। लॉकडाउन से पूर्व जिस ट्रेंच से जटाधारी शिवलिंग मिला था, पांचवें दिन टीम ने उसी में खोदाई जारी रखी। शिवलिंग के अरघे के नीचे मिले पत्थर के आधार का विस्तार जानने के लिए चल रही खोदाई में प्रारंभिक शिव मंदिर के स्वरूप का प्रमाण मिला है। इसे प्रारंभिक तौर पर काशी का सबसे प्राचीन शिव मंदिर होने का आकलन किया जा रहा है।
लॉकडाउन के बाद शर्तों के साथ टीम को काम करने की अनुमति मिली है। बरसात से पहले टीम दोगुने उत्साह के साथ काम कर रही है, ताकि मौसम खराब होने से पहले यह पता लगाया जा सके कि किस-किस कालखंड में कौन-कौन सी संस्कृति के लोग बसे थे। पुरातत्व विभाग ने पुराने ट्रेंचों की साफ-सफाई कर ट्रेंच संख्या-1 में सुबह खोदाई शुरू की। जटाधारी शिवलिंग के अरघे के नीचे पत्थर का आधार था, जिसका विस्तार जानने के लिए खोदाई की गई। अरघे के नीचे सुर्खी व चूने से निॢमत वृत्ताकार फर्श बने होने के साथ ही प्रारंभिक शिव मंदिर के स्वरूप का भी प्रमाण मिला है। बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ओंकार नाथ सिंह और प्रो. अशोक सिंह ने बताया कि यह शिवमंदिर का स्वरूप प्रारंभिक गुप्त काल के समय का है।