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बीएचयू अस्पताल में शव अदला-बदली मामले में जांच समिति ने संबंधित सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की पूछताछ

बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में एसीएमओ जंग बहादुर एवं इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव के पिता केशव चंद्र श्रीवास्तव के शव अदला-बदली मामले में लगातार दूसरे दिन भी जांच हुई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 09:19 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 03:26 AM (IST)
बीएचयू अस्पताल में शव अदला-बदली मामले में जांच समिति ने संबंधित सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की पूछताछ

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में एसीएमओ जंग बहादुर एवं इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव के पिता केशव चंद्र श्रीवास्तव के शव अदला-बदली मामले में लगातार दूसरे दिन भी जांच हुई। जांच समिति ने मैराथन पूछताछ की। मामले से जुड़ी सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को समिति के सक्षम आना पड़ा। जांच प्रक्रिया पूरी तरह हर बारीकियों को ध्यान में रख कर की जा रही है। ऐसे में तीन दिन से अधिक समय लगने की उम्मीद जताई जा रही है। जांच के मुख्य केंद्र इन गलतियों एवं अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने के साथ ही आखिर चूक कहां हुई शामिल है।

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मालूम हो कि बुधवार को बीएचयू अस्पताल में शव बदलने का मामला सामने आते ही हड़कंप मच गया था। लापरवाही की हद पार करते हुए अस्पताल प्रशासन की ओर से अनुपम श्रीवास्तव के पिता का शव जंग बहादुर के परिजनों को दे दिया गया था।  परिजनों ने जंग बहादुर का शव मानकर केशव चंद्र के शव का ही अंतिम संस्कार कर दिया था। इससे बेटों को अंतिम संस्कार करने एवं मुखाग्नि देने का अधिकार ही छिन गया है। वैसे से लेकर अनुपम श्रीवास्तव ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लंका थाने में तहरीर दी है, लेकिन बीएचयू अधिकारियों के दबाव में पुलिस ने अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन की ओर से गठित जांच समिति के अध्यक्ष व सदस्य डा. धर्मेंद्र जैन, डा. विवेक कुमार श्रीवास्तव व असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने शुक्रवार को सुबह से ही पड़ताल शुरू कर दी। यह प्रक्रिया शाम तक चली। सूत्र बताते हैं कि यह मामला पूरी तरह से हाई प्रोफाइल होने एवं लोगों के गुस्से को देखते हुए प्रशासन इस बार जांच में ईमानदारी बरत रहा है। कारण कि पहले जब भी कोई बवाल या लापरवाही होती थी तो खानापूर्ति के नाम पर समिति गठित कर जांच कर ली लाती थी। बाद में मामला शांत होने पर रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में चली जाती थी या फिर दोषियों को बचा लिया जाता था, लेकिन इस बार इस मामले में पीएमओ भी निगरानी रखे हुए है। ऐसे में इस बार किसी गलती की कम गुंजाइश दिख रही है। यही कारण कि भले ही एक-दो दिन और लग सकता है लेकिन जांच में हर पहलुओं को शामिल किया जाना है।

उच्चाधिकारियों के निर्देश का हवाला दे नहीं दर्ज हो रहा मुकदमा

इंस्पेक्टर अनुपम श्रीवास्तव पुलिस विभाग में बनारस के कई थानों पर थानेदार रह चुके हैं लेकिन समय की विडंबना देखिए खुद के मामले में न्याय के लिए गुहार लगा रहे हैं। उधर लंका पुलिस को अनुपम की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने के लिए उच्चाधिकारियों के निर्देश का इंतजार है।

बीएचयू अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में बुधवार को शवों की अदला-बदली के बाद केशव चंद्र श्रीवास्तव का शव एडिशनल सीएमओ डा. जंगबहादुर के परिजनों को दे दिया गया जिसका अंतिम संस्कार भी लोगों ने कर दिया। वहीं, घटना के बाद आहत परिजनों ने हंगामा भी किया और अपने पिता के शव की मांग करने लगे। जहां बीएचयू के अधिकारी भी निरुत्तर थे। गुरुवार की शाम अनुपम श्रीवास्तव ने लंका थाने पर दी गयी तहरीर में इलाज में लापरवाही के बाद उसको छुपाने के लिए शव का अंतिम संस्कार करवाने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही मांग किया कि कानूनी कार्रवाई करते हुए पिता का शव दिलाने की कृपा करें ताकि अंतिम संस्कार कर सकें। अनुपम ने आरोप लगाया कि बीएचयू प्रशासन एवं पुलिस मामले की लीपापोती में लगी है। अगर न्याय नहीं मिला तो मजबूरन मुख्यमंत्री तक शिकायत करनी पड़ेगी।


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