बनारस की गलियों, घाटों और गंगा से मिली असीम ऊर्जा, बोलीं- मैशप गायिका एलीना
कुवैत में जन्मी और पढ़ी-लिखी 21 वर्षीय गायिका एलीना ने बताया कि वह पहली बार बनारस आयी हैं और यहां की मुरीद बन गयी हूं।
वाराणसी, जेएनएन। बनारस और गंगा के घाटों से मैं इतनी प्रभावित हुई कि उसे शब्दों में कह पाना मेरे लिए मुमकिन नहीं है। बनारस की गलियां, गंगा नदी के किनारे बने घाट और गंगा में नौका विहार करना मेरे लिए सपने से कम नहीं है। यहां से मुझे बहुत ऊर्जा मिली है, जो आपको जल्द ही मेरे गानों में दिखेगी।
यह कहना है कुवैत में जन्मी और पढ़ी-लिखी 21 वर्षीय गायिका एलीना ने बताया कि वह पहली बार बनारस आयी हैं और यहां की मुरीद बन गयी हूं। मैशप तरीके से गाने वाली एलीना ने बताया कि इस कला में हिंदी, पंजाबी व अंग्रेजी भाषा में गाना गाने वाले गायकों को गाया जाता है लेकिन संगीत एक ही होता है। अमेरिका और अरब में 50 से अधिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी एलिना का कहना है भारत में भी यह प्रचलन धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। मैंने मीका ब्रदर्स के साथ एक करार भी किया है। जल्द ही मेरे द्वारा गाए गीत हिंदी फिल्मों में दिखेंगे। अनुबंध के तहत मैं अभी उन फिल्मों के नाम नहीं बता सकती है। मेरे द्वारा गाया गाया डमडम डिगा गाना यू टयूब पर लाखों लोगों द्वारा सुना और देखा जा चुका है।
मैं दो या तीन महीने बाद बनारस आऊंगी और यहां की मौज मस्ती को अपने गीत-संगीत को दुनिया को दिखालऊंगी। मुझे अफसोस इस बात का है कि मैं बनारस की चाट का आनंद नहीं उठा सकी। एलीना के पिता रेहान खान पेशे से कुवैत में इंजीनियर हैं और मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले हैं और इनकी माता एनी (उरसा फजल) बस्ती की निवासी हैं। एलीना ने बताया कि जब मैं छोटी थी तो घर में गुनगुनाया करती थी। उसे कई बार मेरी मां ने सुना और मेरी गलतियों को ठीक करती थी और उन्होंने मुझे गीत और संगीत के क्षेत्र में आने में प्रेरित किया।
दिल्ली से बी.आर्किटेकचर करने वाली एलिना ने बताया कि अभी मेरा एक पेपर बाकी है, उसके बाद मैं पूरी तरह से मुंबई शिफ्ट हो जााऊंगी। भले मैं कुवैत में जन्मी और पली-लिखी हूं लेकिन मेरे पास भारत की नागरिकता हैं।