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काशी में उद्यमियों के महाकुंभ में बोले वक्‍ता - 'प्रदेश में और तेज पकड़ेगी उद्योगों की रफ्तार'

उद्यमियों के महाकुंभ में उत्तर प्रदेश नई दिल्ली उत्तरांचल और हरियाणा के उद्यमी मंथन कर रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 03:07 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 07:02 PM (IST)
काशी में उद्यमियों के महाकुंभ में बोले वक्‍ता - 'प्रदेश में और तेज पकड़ेगी उद्योगों की रफ्तार'
काशी में उद्यमियों के महाकुंभ में बोले वक्‍ता - 'प्रदेश में और तेज पकड़ेगी उद्योगों की रफ्तार'

वाराणसी, जेएनएन। प्रदेश में औद्योगिक विकास की रफ्तार और तेजी पकड़ेगी। पूर्वांचल के भी औद्योगिक विकास को नए पंख लगने वाले हैं, इसकी पहल हो चुकी है। उक्त बातें वक्ताओं ने शुक्रवार को वाराणसी में शुरू दो दिवसीय औद्योगिक समस्यायों पर मंथन और समाधान के तहत आयोजित सेमिनार के उद्घाटन पर कहा। इसके लिए शहर के अमाया होटल में 10-11 जनवरी को उद्यमियों का महाकुंभ लगा है। इसमें उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, उत्तरांचल और हरियाणा के उद्यमी मंथन कर रहे हैं। यह आयोजन इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से किया जा रहा है।

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आइआइए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने कार्यक्रम की रूप-रेखा प्रस्तुत की। सेमिनार में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज गुप्ता व महामंत्री मनमोहन अग्रवाल ने एमएसएमई के लिए किए गए कार्यों पर विस्तार से चर्चा की। इसमें उद्यमियों की कई मांगे रखी गईं, जिनके पूर्ण हुए बगैर उद्योग- धंधे रफ्तार नहीं पकड़ सकते। खासकर औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड करने की मांग अरसे से मूर्ति रूप नहीं ले पाई थी, जिसपर विशेष मंथन किया गया।

वक्‍ताओं ने कहा कि एमएसएमई के लिए बैंक की ब्याज दरें अौर बिजली मूल्य अधिक हैं। अनावश्यक उत्पीडऩ से भी उद्यमी परेशान हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंथन से समस्यायों का समाधान पर विचार किया गया ताकि प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति मिल सके। आयोजन के के मुख्य अतिथि कमिश्नर दीपक अग्रवाल रहे वहीं प्रदेश के उद्यमियों की भी कार्यक्रम में मौजूदगी रही।

इन समस्याओं पर हुआ मंथन

1-औद्योगिक विकास को गति देने, औद्योगिक संस्थाओं में आ रही परेशानियों के निस्तारण के लिए सरकार द्वारा गठित फोरमों तथा जिला उद्योग बंधु, मंडलीय उद्योग बंधु व राज्य स्तरीय उद्योग बंधु को और प्रभावी बनाने की जरूरत।

2- वर्तमान में नए औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करना कठिन ही नहीं बल्कि टेढ़ी खीर भी है। औद्योगिक क्षेत्रों को अविलंब फ्री होल्ड करने की जरूरत है। प्रदेश की सरकार भी इस पर सहमत है। फ्री होल्ड होने से बंद व बीमार चल रहे उद्योग भी चल पड़ेंगे।

3- प्रदेश में बढ़ रही विद्युत दरों का सभी औद्योगिक संस्थाएं विरोध कर रही है। विद्युत दर बढऩे से उद्योग पर असर पड़ रहा है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में उद्योग पिछड़ रहा है। मांग किया गया कि पूरे देश में एक प्रकार विद्युत दरें लागू हो।

4- औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली संस्था यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा रखरखाव शुल्क 300 प्रतिशत बढ़ोत्तरी कर दी गई, लेकिन सुविधाएं नहीं मिल रही है। सभी औद्योगिक क्षेत्रों में सड़कों का उच्चस्तरीय निर्माण, नालियों का निर्माण व बेहतर रखरखाव हो।

5- उद्योगों को स्थापित करने में वित्त से जुड़ी संस्थाएं उद्यमियों को सुगमता से ऋण उपलब्ध कराए। साथ ही ब्याज दरों को भी कम किया जाएं ताकि उद्योग-व्यापार दम नहीं तोड़े। ब्याज दर की न्यूनतम सीमा तय करके सुगमता से ऋण उपलब्ध कराने की जरूरत है।

6- एमएसएमई में श्रम कानून का सरलीकरण जरूरी हे। कारण कि बड़े उद्योगों की तुलना में एमएसएमई में संसाधन न के बराबर है। श्रम कानून के नाम पर अनावश्यक उत्पीडऩ को बंद किया जाएं। लंबित पड़े घोषित नीतियों का क्रियान्वयन अति आवश्यक है।


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