बदलते परिवेश के कारण युवाओं में बढ़ रहा तनाव, मानसिक समस्या का किया जा रहा निदान
बीएचयू स्थित आयुर्वेद के मानस चिकित्सा अनुभाग में तनाव से ग्रसित युवाओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। बदलते परिवेश में युवाओं में तनाव काफी बढ़ गया है। पारिवारिक समस्या, पढ़ाई का बोझ, करियर में असफलता और ब्रेकअप आदि मानसिक विकार को बढ़ावा दे रहे हैं। बीएचयू स्थित आयुर्वेद के मानस चिकित्सा अनुभाग में तनाव से ग्रसित युवाओं की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। हालांकि यहां निराशा के साथ आते तो हैं लेकिन 20 मिनट बाद मुस्कुराते हुए घर जाते है।
क्या है कारण
मानस चिकित्सा विशेषज्ञ प्रो. जेएस त्रिपाठी के अनुसार छात्र जीवन में कॅरियर में असफलता, ब्रेकअप, अध्ययन का बोझ, तो वहीं रईस लोगों में घरेलू तनाव के लक्षण देखे जा रहे हैं। ये मानसिक संकट आगे चलकर आत्महत्या में बदल जाते हैं। बीएचयू के कई छात्र ऐसे हैं जिनमें चिड़चिड़ापन देखा गया है। ऐसे में क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट व विशेषज्ञों द्वारा उनकी काउंसिलिंग, रिलैक्शेसन थिरेपी और स्ट्रेस मैनेजमेंट की जाती है।
ऐसे किया जाता है इलाज
लैब में साइको डायग्नॉस्टिक के अंतर्गत एक उपकरण में मौजूद ब्रेन पोलराइजर से व्यक्ति को बाहरी इनपुट देकर मस्तिष्क में हारमोनल परिवर्तन करते उन्हें आराम पहुंचाया जाता है। एक प्रकार से व्यक्ति को बाह्य उपकरणों से मेडिटेशन कराया जाता है।
चार तरह के होते हैं ट्रीटमेंट
साइको डायग्नॉस्टिक सुविधा में क्वाड्रामाइंड उपकरण द्वारा मानसिक समस्याओं से जुड़े चार तरह के ट्रीटमेंट होते हैं। इसमें अनिद्रा की स्थिति में इलेक्ट्रो स्लीप, डिप्रेशन पर एवरजन व सेक्स संबंधी समस्याओं के लिए सेक्स थेरेपी दी जाती है। योग, जीवनशैली में बदलाव, दवाईयां व कई अन्य प्रकार के उपायों से लोगों मानसिक राहत दी जाती है।
तीन महीने बाद आई मुस्कान
24 साल का अशोक (परिवर्तित नाम) बलिया से बुधवार को अपने दोस्त के साथ बीएचयू आया। वह एंजाइटी, आवश्यकता से अधिक सोचना, अनिद्रा व तनाव संबंधी समस्याओं से ग्रसित था। उसने बताया कि तीन माह से नहीं हंसा था। जब से बड़े भाई का निधन हुआ तब से मुस्कान उसके चेहरे से गायब हो गई। इसी तरह बीएचयू में बीएससी की छात्रा छह साल से मल्टीपल ज्वाइंट पेन, एंजाइटी, नकारात्मक सोच व डिप्रेशन से परेशान थी। बीएचयू में तीन दिन तक उपचार किया गया और काउंसिलिंग की गई जिसके बाद राहत महसूस कर रही है।
इन क्षेत्रों से आते हैं युवा
आइआइटी, बीएचयू, काशी विद्यापीठ, टेक्निकल व मैनेजमेंट कालेज, स्कूल सहित बलिया, बिहार सहित ग्रामीण व दूर-दराज के अवसाद से ग्रसित छात्र बीएचयू के मानस चिकित्सा विभाग में आते हैं अपना इलाज कराने। इनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग ठीक हो कर ही घर जाते हैं।