पूर्वांचल में बिजली उपकरण के उत्पादन की बढ़ी संभावनाएं, पूर्वांचल डिस्काम के प्रबंध निदेशक ने दिया उद्यमियों को निर्माण के लिए प्रस्ताव
पूर्वांचल के औद्योगिक विकास को लेकर पीएमओ की ओर से लगातार निगरानी की जा रही है। उत्तर प्रदेश इन्वेंटर समिट के तहत यहां के करखियांव औद्योगिक क्षेत्र में कई उद्योग शुरू किए हैं। इसके साथ ही नए उद्योग के संभावनाओं की द्वार खुली है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : पूर्वांचल के औद्योगिक विकास को लेकर पीएमओ की ओर से लगातार निगरानी की जा रही है। उत्तर प्रदेश इन्वेंटर समिट के तहत यहां के करखियांव औद्योगिक क्षेत्र में कई उद्योग शुरू किए हैं। इसके साथ ही नए उद्योग के संभावनाओं की द्वार खुली है। वह है बिजली उपकरण के। पूर्वांचल में इनके निर्माण की इकाई नहीं होने से बिजली उपकेंद्र, सप्लाई आदि कार्यमें आने वाले सभी उपकरण व सामग्री नई दिल्ली, राजस्थान या पश्चिम यूपी से मंगानी पड़ती है। इसको ध्यान में रखते हुए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विद्याभूषण ने पूर्वांचल के उद्यमियों को विद्युत उपकरण उत्पादन को प्रस्ताव दिया है। यहां पर तीन योजनाओं का डीपीआर बनाया गया है, जिसमें ट्रांसफार्मर, एबी केबल, तार, खंभे, इंशूलेटर, क्लैंप, डिस्ट्रीब्यूशन बाक्स की जरूरत पड़ती रहेगी। यानी अगर यहां के उद्यमी इसका उत्पादन शुरू करते हैं तो पूर्वांचल का भी विकास होगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
एमडी ने बताया कि रीवेंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत केंद्र सरकार की ओर पहले फेज में 4500 करोड़ के प्रस्ताव की स्वीकृति मिली है। इसके तहत पूर्वांचल डिस्काम से जुड़े सभी 21 जिलों में नए बिजली घर, नए ट्रांफार्मर, एबीसी तार आदि कार्य होने हैं। इसके अलावा एक दूसरी योजना के तहत करीब 823 करोड़ की योजना को स्वीकृति मिली है। इनसे उपभोक्तओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति मुहैया कराने के साथ ही लाइन लास को दूर की जाएगी। ऐसे में अगर यहां के उद्यमी बिजली उपकरण आदि का निर्माण करते हैं तो पूर्वांचल का औद्योगिक विकास होगा। साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उन्होंने बताया सौभौग्य योजना के तहत 800 करोड़ का डीपीआर भी तैयार किया गया है। यानी यहां लाखों विद्युत पोल, ट्रांफार्मर, अर्थिंग राड, तार आदि की निरंतर जरूरत पड़ेगी। इन सामग्रियों की आपूर्ति फिलहाल जयपुर, नई दिल्ली, गाजियाबाद, कोलकाता आदि शहरों से की जा रही है।