Varanasi में कुत्ते के काटने के बढ़े मामले, सीएचसी-पीएचसी में महीने भर से एंटी रेबीज वैक्सीन गायब
एंटी रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता के दावे तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए जाते रहे हैं लेकिन यह सच्चाई कम ही है। सीएचसी-पीएचसी पर कहीं पखवारे भर से तो कहीं महीने भर से एआरवी नहीं है। लाकडाउन खत्म होने के बाद से कुत्तों के काटने आई है।
वाराणसी, जेएनएन। एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) की उपलब्धता के दावे तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए जाते रहे हैं, लेकिन यह सच्चाई कम ही है। सीएचसी-पीएचसी पर कहीं पखवारे भर से तो कहीं महीने भर से एआरवी नहीं है। इस बाबत लोगों ने पत्र भी लिखे, मगर हालात पहले जैसे ही हैं। नतीजतन इंजेक्शन लगवाने के लिए मंडलीय अस्पताल या लाल बहादुर शास्त्री हास्पिटल-रामनगर तक जाना पड़ रहा है।
लाकडाउन खत्म होने के बाद से कुत्तों के काटने की तेजी से बढ़ी है। चिकित्सकों के मुताबिक बच्चे और बुजुर्ग ही सबसे ज्यादा कुत्तों के शिकार हो रहे हैं। वजह, बच्चे और बुजुर्ग भागने में कामयाब नहीं हो पाते। हांलाकि कुछ माह पहले नगर निगम ने डाग बाइट रोकने के लिए नसबंदी अभियान शुरू किया था, लेकिन वह कुछ खास कारगर नहीं रहा।
बढ़े एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने वाले
इन दिनों लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल-रामनगर में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है। सोमवार को जहां 60 मरीज अस्पताल पहुंचे तो वहीं बीते शनिवार को 65 मरीज आए थे। हालांकि एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने वालों में करीब 48 फीसद पड़ोसी जनपद चंदौली व मीरजापुर से थे। मरीज के परिवारीजनों के मुताबिक उनके जिले के ज्यादातर अस्पताल में एआरवी उपलबध नहीं है। इसलिए मजबूरी में यहां आना पड़ा। सीएमएस डा. एके उपाध्याय के मुताबिक एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पिछले एक सप्ताह में 330 मरीज पहुंचे। 26, 27, 28, 29, 30, 31 अक्टूबर व दो नवंबर को क्रमश: 52, 53, 26, 38, 36, 65 व 60 मरीजों ने इंजेक्शन लगवाए।
एआरवी की कमी चल रही है
एआरवी की कमी चल रही है। उप्र मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन को मांग पत्र भेजा गया है। शीघ्र ही आपूर्ति हो जाएगी। इसके बाद एंटी रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता सामान्य हो जाएगी।
- डा. वीबी सिंह, सीएमओ।