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यूपी बिहार सीमा पर कर्मनाशा नदी के तटवर्ती इलाके में तरबूज की खेती का बढ़ा रकबा

यूपी बिहार के बार्डर कर्मनाशा नदी के तट पर बसा ककरैत गांव नाशपाती एवं तरबूज की खेती के लिए हब बनता जा रहा है। यहां के मजदूर तबके के किसानों के लिए बटाई खेती लेकर गर्मी के सीजन के फलों का खेती करना फायदेमंद साबित होने लगा है ।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 08:19 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 06:30 AM (IST)
यूपी बिहार सीमा पर कर्मनाशा नदी के तटवर्ती इलाके में तरबूज की खेती का बढ़ा रकबा
खेती लेकर गर्मी के सीजन के फलों का खेती करना फायदेमंद साबित होने लगा है ।

चंदौली, जेएनएन। कर्मनाशा नदी के तट पर बसा ककरैत गांव नाशपाती एवं तरबूज की खेती के लिए हब बनता जा रहा है। यहां किसान बटाई पर खेत लेकर तरबूज की खेती कर रहे हैं। यह उनके लिए फायदेमंद सौदा साबित हो रहा है। तरबूज और नाशपाती की खेती से किसानों की घर-गृहस्थी आराम से चल रही है। इससे यहां के लोगों को गैर प्रांतों में कल कारखानों में कमाने के लिए जाने की जरूरत नहीं पड़ रही।

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कर्मनाशा नदी का तटवर्ती इलाका सब्जी आदि की खेती के लिए उपजाऊ माना जता है। वर्तमान समय में तकरीबन 300 किसान एक हजार एकड़ भूमि में तरबूज व नाशपाती की खेती कर रहे हैं। पूरा कुनबा इस खेती में बड़ी तन्यमंयता से लगा है। गांव के किसान विजय बहादुर चौधरी, रमाशंकर, श्रवण, अजय, छोटे, रामनारायण, हरदेव चौधरी, जगन मल्लाह, सुशील आदि बताते हैं कि सब्जी, तरबूज और नाशपाती की खेती जीवन की गाड़ी खींचने का सहारा बन गई है। बीते वर्ष लाकडाउन में बेसमय बारिश से नुकसान हुआ था। इस वर्ष लाभ की उम्मीद है। किसानों ने बटाई पर खेती करने के लिए भूस्वामियों से 14,000 रुपये एकड़ की दर से खेत लिया है। प्रति एकड़ खेती पर लगभग दस हजार रुपये खर्च आता है। चार बार कोड़ाई एव मौसम के अनुकूल पानी की आवश्यकता होती है। एक एकड़ की फसल बेचने पर लगभग डेढ़ से दो लाख रुपये तक आय होती है।

तीन प्रांतों के बाजारों में बिकता है यहां का तरबूज व नाशपाती : किसान बताते हैं कि तरबूज व नाशपाती जनपद के साथ ही गजीपुर, बिहार के भभुआ, मोहनिया, रोहतास, बक्सर कुदरा, ससाराम, डेहरी, झारखंड के राची आदि मंडियों में जाता है। बड़े व्यापारी उनसे संपर्क करते हैं।


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