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वाराणसी में मौसमी बीमारियों की गिरफ्त में नौनिहाल, वायरल फीवर के अधिक आ रहे मामले

मौसम की मार से बड़े ही नहीं बच्चों भी पस्त हैं। बाढ़ व बरसात के बाद मौसमी बीमारियों ने पांव पसार लिए हैं। जरा सी लापरवाही नौनिहालों को अस्पताल पहुंचा रही है। वहीं इलाज में कोताही से स्थिति गंभीर होते देर नहीं लग रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 10:14 PM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 10:14 PM (IST)
वाराणसी में मौसमी बीमारियों की गिरफ्त में नौनिहाल, वायरल फीवर के अधिक आ रहे मामले
मौसम की मार से बड़े ही नहीं बच्चों भी पस्त हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मौसम की मार से बड़े ही नहीं बच्चों भी पस्त हैं। बाढ़ व बरसात के बाद मौसमी बीमारियों ने पांव पसार लिए हैं। जरा सी लापरवाही नौनिहालों को अस्पताल पहुंचा रही है। वहीं इलाज में कोताही से स्थिति गंभीर होते देर नहीं लग रही है। कोरोना के नाम पर जिला अस्पताल पहले से ही रिजर्व चल रहा है, वहीं लाल बहादुर शास्त्री हास्पिटल-रामनगर में विगत एक वर्ष से बाल रोग विशेषज्ञ उपलब्ध न होने से सारा लोड मंडलीय हास्पिटल पर आ चुका है। पीडियाट्रिक वार्ड सहित जनरल वार्ड फुल हैं। हालत ये है कि वेटिंग में तीन से चार मरीज रहते हैं, बेड खाली हुआ नहीं कि उस पर काबिज होने की होड़ मच रही है।

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दरअसल, मंडलीय हास्पिटल में आठ फिजिशियन की तैनाती थी, जिनमें से तीन सेवानिवृत्त हो गए और दो का ट्रांसफर कर दिया गया। मरीजों का दबाव जहां कई गुना बढ़ गया है, वहीं जनरल फिजिशियन की उपलब्धता आधी से भी कम रह गई है। हालांकि बाल रोग विशेषज्ञों की पर्याप्त उपलब्धता के चलते बच्चों के इलाज में दुश्वारी कम है। वहीं जनरल वार्ड और इमरजेंसी में डायरिया सहित मौसमी बुखार से पीड़ित गंभीर मरीजों के पहुंचने का सिलसिता जारी है। मंडलीय हास्पिटल के एसआइसी डा. प्रसन्न कुमार कें मुताबिक जनरल एवं पीडियाट्रिक वार्ड फुल होने की स्थिति में अन्य वार्ड में भी मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाएगा।

वायरल फीवर के अधिक आ रहे मामले

मंडलीय हास्पिटल के फिजिशियन डा. एके श्रीवास्तव के मुताबिक इस मौसम में ज्यादातर मरीज वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम से ग्रसित होकर पहुंच रहे हैं। रोजाना करीब 300-400 मरीज आ रहे हैं, जिसमें से कुछ की हालत गंभीर होने पर भर्ती भी किया जा रहा है। वहीं प्रतिदिन डायरिया से ग्रसित 12 से 15 मरीज भी भर्ती किए जा रहे हैं। वहीं स्वच्छता को लेकर कोताही बड़ों से अधिक बच्चों पर भारी पड़ रही है। मंडलीय हास्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. एसपी सिंह के मुताबिक पहले जहां ओपीडी में 10 से 15 बच्चे पहुंच रहे थे। वहीं अब यह संख्या 50 से अधिक है। ज्यादातर बुखार, खांसी-जुकाम व डायरिया से पीड़ित हैं।

एलबीएस व जिला अस्पताल ने बढ़ाया दबाव

कोविड हास्पिटल के रूप में जिला अस्पताल को रिजर्व करने से शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पांडेयपुर व अर्दली बाजार के साथ ही मंडलीय अस्पताल पर मरीजों का दबाव बढ़ गया है। इसके चलते सुबह से दोपहर दो बजे तक न केवल पर्ची काउंटर पर, बल्कि ओपीडी सहित पैथालाजी केंद्र में भी लाइन में लगे रहना लोगों की मजबूरी बन गई है। वहीं लाल बहादुर शास्त्री हास्पिटल रामनगर में विगत एक वर्ष से स्थाई बाल राेग विशेषज्ञ न होने से वहां के भी मरीज मंडलीय हास्पिटल ही पहुंच रहे हैं।

मंडलीय हास्पिटल के वार्डों में भर्ती मरीज

अगस्त इमरजेंसी जनरल पीडियाट्रिक

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बरतें ये सावधानी

- बारिश के पानी में बच्चों को भीगने से बचाएं।

- घर के आस-पास जलजमाव न होने दें।

- पानी उबालकर ढंककर रखें।

- बच्चों को बाहर का खाद्य पदार्थ न खिलाएं।

- बिना चिकित्सीय सलाह के बच्चों को कोई दवा न दें।

- पूरी बांह का कपड़ा पहनाएं।

- बच्चों को बिना मच्छरदानी न सुलाएं।


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