वाराणसी में गंगा किनारे के 44 गांवों का गंदा पानी अब नहीं गिरेगा नदी में
गंगा किनारे के 44 गांवों में नदी में गिरने वाले नालों का सर्वे शुरू हो गया है। पंचायत विभाग को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वाराणसी, जेएनएन। गंगा किनारे के 44 गांवों में नदी में गिरने वाले नालों का सर्वे शुरू हो गया है। पंचायत विभाग को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हालांकि पहले भी इस दिशा में कार्य हुआ था लेकिन जमीन पर बहुत कुछ नहीं हो सका था। शासन के निर्देश के क्रम में गंगा किनारे गांवों में सबसे पहले सालिड एवं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट पर कार्य होगा। इसके बाद सामुदायिक शौचालय आदि का निर्माण होगा। किसी भी पंचायत में गंदा पानी नदी में गिरते हुए मिलेगा तो रोकने की दिशा में कार्य होगा ताकि गंदगी गंगा नदी में न गिरे।
जिलाधिकारी ने भी पिछले दिनों समीक्षा बैठक के दौरान गंगा में गिरने वाले गंदे नाले को तत्काल रोकने का निर्देश दिया था। साथ ही इन गांवों में गंगा चबूतरा के निर्माण के लिए कहा था। इसके अलावा तालाबों की मरम्मत तत्काल पूरा कराने व तालाबों के किनारे पौधरोपण के साथ स्वच्छता के संदेश का स्लोगन लिखवाने के लिए निर्देशित किया था। साथ ही सभी विभागीय अधिकारियों को गंगा किनारे के सभी चयनित गांवों में मिशन के तहत विभागीय योजनाओं को संचालति करने को निर्देश दिया था।
इन गांवों में होगा कार्य
काशी विद्यापीठ ब्लाक के भगवानपुर, डोमरी, नैपुराकला, रमना, सराय डेगरी, बेटावर, सीरगोवर्धन, सूजाबाद, तारापुर, टिकरी, छत्तिपुर, छत्तिौनी कोट, मूडादेव, माधोपुर व चिरईगांव ब्लाक में लूठाकला, छितौनी, मिश्रपुरा, मुरीदपुर, सरसौल, तातेपुर, धराधर, अमौली, बर्थराखुर्द, मोकलपुर, चांदपुर, कमौली, कुकुडा, अम्बा, मुस्पफाबाद, परानापुर, रमचंदीपुर, सरायमोहाना, सिरिस्ती, बभनपुरा, शिवदशा, सिंगवार, गोबरहा व चौलापुर ब्लाक का कैथी, मोलनापुर, चंद्रावती, ढाका, गौराउपरवार, व रामपुर शामिल है।