वाराणसी के ग्रामीण इलाकों में होगा घर-घर कूड़ा उठान, 86 गांवों में कंपनी कर रही सर्वे
एक बार फिर नगर में घर-घर कूड़ा उठान की कवायद शुरू होने जा रही है। इसके लिए वाराणसी नगर निगम प्रशासन का नोएडा की एजेंसी से अनुबंध हो गया है।
वाराणसी, जेएनएन। एक बार फिर नगर में घर-घर कूड़ा उठान की कवायद शुरू होने जा रही है। इसके लिए नगर निगम प्रशासन का नोएडा की एजेंसी एजी इनवायरो इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से अनुबंध हो गया है। कंपनी की विशेषज्ञ टीम गूगल मैप के जरिए सर्वे भी कर रही है। मकानों की संख्या के अलावा शहर से निकलने वाले कचरे का आकलन किया जा रहा है। वहीं, नगरीय सीमा से सटे 86 गांवों में भी घर-घर कूड़ा उठान की भी तैयारी हो रही है। इसके लिए शुक्रवार को एक कंपनी के लोग लमहीं समेत अन्य गांवों में सर्वे कर लोगों से जानकारी ली और सूचित किया कि घर-घर कूड़ा उठान होगा जिसके लिए यूजर चार्ज के तौर पर 100 रुपये अदा करना होगा।
इस बाबत अपर नगर आयुक्त देवीदयाल वर्मा ने बताया कि शासन स्तर से घर-घर कूड़ा उठान के लिए जिस कंपनी से नगर निगम वाराणसी का अनुबंध हुआ है वह सर्फ शहरी सीमा के अंदर की कार्य करेगी। बताया कि शहर से सटे गांवों में घर-घर कूड़ा उठान के लिए दूसरी निजी कंपनी मां वैष्णव नामक आगे आई है जिसके अधिकारी व तकनीकी विशेषज्ञ नगर निगम प्रशासन से संपर्क किया है।ब्लाक स्तर से यह कवायद होगी लेकिन कूड़ा निस्तारण के लिए उन्हें करसाड़ा स्थित कचरा निस्तारण प्लांट की जरूरत है। कंपनी को स्पष्ट किया गया है कि प्लांट में कचरा निस्तारण का रेट अदा कर वहां डंप कर सकते हैं। बता दें कि शहरी इलाके से सटे तीन ब्लाक काशी विद्वापीठ, हरहुुआ व चिरईगांव के 86 गांव हैं।
ब्लाक के कर्मचारी अब तक करे सफाई
हरहुआ ब्लाक के एडीओ पंचायत गुलाब सिंह ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के लिए निजी कंपनी की सेवा लेने पर कवायद हो रही है। फिलहाल, शहर से सटे घनी आबादी वाले गांवों में सफाई कार्य ब्लाक स्तर के कर्मचारियों से कराया जा रहा है जिसकी एवज में कोई यूजर चार्ज नहीं लिया जा रहा।
अब तक कई कंपनियां हुईं फेल
नगर में घर-घर कूड़ा उठान को लेकर अब तक कई कंपनियां फेल हो चुकी हैं। वजह, यूजर चार्ज की वसूली न हो पाना। पहले एटूजेड ने जिम्मेदारी संभाली थी जिसने एक ही वर्ष में हाथ खड़े कर दिए। बाद में ईको पॉल, कियाना, आइएलएंडएफएस कंपनी ने भी जिम्मेदारी संभाली लेकिन लंबे समय तक कार्य नहीं कर सकीं। सभी ने घाटे का हवाला देते हुए नगर निगम से अनुबंध तोड़ लिया।