IMS-BHU मॉलिक्यूलर बायोलॉजी लैब ने बढ़ाई टेस्टिंग की रफ्तार, यूनो मशीन से एक घंटे में रिपोर्ट
वाराणसी के आइएमएस-बीएचयू के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी लैब में 19 मई से शुरू हुई कोरोना टेस्टिंग ने अब रफ्तार पकड़ ली है।
वाराणसी, जेएनएन। आइएमएस-बीएचयू के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी लैब में 19 मई से शुरू हुई कोरोना टेस्टिंग ने अब रफ्तार पकड़ ली है। रोजाना 300- 400 कोविड सैंपल की जांच चल रही है, जिसमें वैज्ञानिक सुबह नौ बजे से रात दस बजे तक परीक्षण कार्य कर रहे हैं। संस्थान में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यूनिट के सीनियर वायरोलॉजिस्ट प्रो. सुनीत कुमार के नेतृत्व में लैब में पांच वायरोलॉजिस्ट इस काम को पूरी मुस्तैदी के साथ पूरा कर रहे हैं।
प्रो. सुनीत सिंह के मुताबिक परीक्षण के साथ ही प्रोटोकॉल की बारीकियों को भी स्थापित किया जा रहा है। अर्थात इसमें पूरी तरह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हमारे जो पॉजिटिव और निगेटिव कंट्रोल होते हैं वह सटीक हो यानी कि सैंपल के परीक्षण में कोई त्रुटि न आए। उन्होंने बताया कि उनकी लैब और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के कैब के साथ मिलकर एक साझा कार्यक्रम चल रहा है, जिससे उपलब्ध संसाधनों का समुचित प्रयोग हो सके। प्रो. सिंह ने परीक्षण के कार्य में लगे अपनी टीम के डा. समर सिंह, डा. राजीव कुमार, डा. विभव गौतम, डा. समरेंद्र सिंह और डा. रजनीश सिंह सहित तमाम तकनीकी स्टाफ को पूरा श्रेय दिया है।
यूनो मशीन से हो रही आपातकाल टेस्टिंग
माइक्रो बायोलॉजी की डा. शंपा अनुपूरबा ने बताया कि यूनो मॉडल के तीन मशीन से जांच चल रही है। इसमें आपातकाल के मरीजों का कोरोना परीक्षण किया जाता है, जैसे गर्भवती महिला की डिलवरी, सर्जरी के केस, मृत व्यक्तियों की टेङ्क्षस्टग आदि स्थिति में तत्काल सैंपल टेस्ट कर एक घंटे में रिपोर्ट सौंप दी जाती है।
उन्होंने बताया कि इसमें 18 मिनट में आरएनए को एक्सट्रैक्ट कर अगले 50 मिनट में एक सैंपङ्क्षलग की जाती है। यानी कि एक मशीन से एक घंटा में एक सैंपल का परीक्षण संपन्न हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस सिस्टम से जांच करने पर संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है। क्योंकि इस मशीन के साथ वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम (वीपीएम) में सैंपल कलेक्शन का कार्य होता है, जिससे वायरस सक्रिय नहीं रह जाता।