'नट भैरव' से सुबह-ए-बनारस, पुणे की दीपशिखा का प्रभावपूर्ण गायन, मोहक प्रस्तुति से जीता सबका दिल
Subah e banaras Event वाराणसी में सुबहे बनारस के आयोजन के दौरान पुणे की दीपशिखा ने नट भैरव के गायन के जरिए प्रभावपूर्ण तरीके से लोगों का मन मोह लिया। मोहक प्रस्तुति काफी चर्चा का केंद्र बनी रही।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। सूर्योदय की बेला में गंगा की स्वर्णिम आभा, तट पर पर्यटकों और स्थानीय रसज्ञ नागरिकों की उपस्थिति और 'नट भैरव' के मधुर एवं गंभीर स्वरों की गूंज। बृहस्पतिवार को सुबह- ए- बनारस का सुरीला आगाज पुणे की प्रमुख गायिका दीपशिखा के गायन के साथ हुआ। दीपशिखा ने राग 'नट भैरव' की मोहक प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया। इस दौरान सुबह की सैर पर निकले लोग रागिनियों को प्रणाम कर सुर साधना का हिस्सा बने।
सुबह -ए- बनारस की यह सुबह हालांकि तकनीकी बाधाओं से घिरी थी और विद्युत आपूर्ति में आए व्यवधान से ध्वनि व्यवस्था पूरी तरह ठप थी लेकिन इन बाधाओं से दीपशिखा ने अपने गायन को प्रभावित नहीं होने दिया। वे मंच के निकट आ बैठे श्रोताओं को देर तक अपने सुरों से रससिक्त करती रहीं। उन्होंने राग 'नट भैरव' में विलम्बित एकताल में 'करम करो मोपे साईं' और मध्यलय तीन ताल में 'रब सांचा मेरा जनम आधार' सुनाया। उन्होंने राग का जहां सुंदर निरूपण किया वहीं तानों में अच्छी तैयारी भी दिखाई।
मूलतः लखनऊ की रहने वालीं और लंबे समय से पुणे में रह रहीं दीपशिखा ने संगीत की शिक्षा उस्ताद गुलशन भारती, पंडित विकास कशालकर और पंडित अरविंद कुमार आजाद से प्राप्त की है। सुरमणि, पंडित निखिल बनर्जी स्मृति सम्मान, कालिंदी सम्मान सहित कई सम्मान-पुरस्कार पा चुकीं दीपशिखा लखनऊ महोत्सव, भातखंडे संगीत सम्मेलन, महाकुंभ उत्सव सहित विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकी हैं।
उन्हें नेपाल में भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद द्वारा प्रशिक्षक और कलाकार के तौर पर आमंत्रित किया जा चुका है। दीपशिखा ने अपने कार्यक्रम का समापन राग-'चारुकेशी' में भजन-'प्रभु जी तुम चंदन हम पानी' से किया। कला समीक्षक एवं 'छायानट' पत्रिका के संपादक आलोक पराड़कर ने उन्हें सम्मानित किया। डॉक्टर रत्नेश वर्मा एवं प्रमोद मिश्र ने सुबह-ए-बनारस कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी तथा धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर आरती, यज्ञ एवं योग के नियमित कार्यक्रम भी सम्पन्न हुए।