Diwali करीब आते फलने-फूलने लगे पटाखों के अवैध कारोबारी, कहीं बरपा न दे कहर
जैसे-जैसे दीपावली नजदीक आ रही वाराणसी के कई इलाकों में पटाखा कारोबार तेजी से फलने-फूलने लगा है। इसमें लोगों की गहरी रुचि को देखते हुए कारोबारी बिना लाइसेंस घनी आबादी के बीच घरों में चोरी छिपे पटाखों का निर्माण और भंडारण कर रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद पटाखों के अवैध भंडारण पर कार्रवाई को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं दिख रहा। अधिकारियों की लापरवाही से इस धंधे से जुड़े लोगों के हौसले बुलंद हैं और वे थोड़े से फायदे के लिए आम लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। जैसे-जैसे दीपावली नजदीक आ रही कई इलाकों में पटाखा कारोबार तेजी से फलने-फूलने लगा है। हालांकि पटाखों को लेकर अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई, लेकिन इसमें लोगों की गहरी रुचि को देखते हुए कारोबारी बिना लाइसेंस घनी आबादी के बीच घरों में चोरी छिपे पटाखों का निर्माण और भंडारण कर रहे हैं।
दीपावली पर बिकने वाले सुतली बम इसके प्रमाण हैं जिस पर न फैक्ट्री का नाम होता है, न लाइसेंस संख्या। कम खर्च में निर्माण और कई गुना दाम में पटाखे की बिक्री के चक्कर में कारोबारी लोगों की जान से खिलवाड़ करने से नहीं चूकते हैं। दीपावली में कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन पटाखों के अवैध भंडारण और निर्माण के खिलाफ अभियान नहीं शुरू हुआ है। हर बार घटना के बाद पुलिस-प्रशासन जागता है।
ग्रामीण इलाकों तक फैला जाल
शहर ही नहीं, पटाखों के अवैध भंडारण और निर्माण का जाल ग्रामीण इलाकों तक फैल चुका है। शहर के कई इलाके तो बारूद के ढेर में तब्दील हो चुके हैं। इनमें दालमंडी, हड़हा सराय, राजा दरवाजा, बौलिया, लहरतारा, नई सड़क, औरंगाबाद, ङ्क्षपतरकुंडा जैसे शहरी क्षेत्रों के अलावा लोहता जैसे ग्रामीण इलाके भी शामिल हैं।
नहीं चेते तो हो सकती बड़ी घटना
प्रशासन अगर समय नहीं चेता तो पितरकुंडा, चेतगंज, लहरतारा और भदोही जैसा हादसा हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक तीव्रता वाले पटाखों का कारोबार जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से फल फूल रहा है। पाबंदी के नाम पर पुलिस व प्रशासन कागजी कोरम तक ही सीमित है।
फायदे के चक्कर में परवाह नहीं
बारूद में खुद का घर उजड़े या पड़ोसी का, कारोबारियों को इससे मतलब नहीं। उन्हेंं दीपावली पर सिर्फ ज्यादा कमाई नजर आती है। ऐसे कारोबारी जान की परवाह किए बिना परिवार की महिलाओं व बच्चों को भी बारूद के ढेर पर बैठा देते हैं। साथ ही पड़ोसियों को मुसीबत में डाल देते हैं।
जिले में पांच फर्मों को लाइसेंस
वाराणसी में पटाखे बेचने और भंडारण करने का लाइसेंस सिर्फ पांच फर्मों को मिला है। जेनिथ एजेंसी, साबिर अली की हिंदुस्तान फायर वर्क और तरुण मोटवानी की चार फर्म का लाइसेंस आगरा स्थित संयुक्त मुख्य विस्फोटक नियंत्रक कार्यालय से और एक लाइसेंस दिलीप मोटवानी की फर्म का डीएम कार्यालय से जारी हुआ है।
नहीं मानते आदेश
लाइसेंस की शर्त के मुताबिक पटाखा स्टोरेज करने की व्यवस्था शहर से बाहर होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। शहर में आफिस में सिर्फ सैंपल के तौर पर रख सकते हैं पटाखे। आदेश को ताक पर रखकर रजिस्टर्ड एजेंसी वाले भी आफिस के नाम पर ही करते हैं पटाखे का भंडारण। अवैध पटाखा फैक्ट्रियों या गोदाम में छोटी सी चिंगारी बड़े हादसे की जिम्मेदार होगी।
ये हैं मानक
- भीड़भाड़ वाले इलाकों में पटाखे का गोदाम तो दूर दुकानें भी नहीं खुल सकतीं।
- गोदाम में पटाखे रखने और बेचने के लिए जिला प्रशासन की अनुमति जरूरी।
- अनुमति के बाद मैदान या खुले स्थानों पर ही पटाखे रखे या बेचे जा सकते हैं।
- दीपावली में केवल तीन दिन ही पटाखे बेचने की अनुमति देने का प्रावधान है।
- अस्थाई तौर पर दिवाली पर पटाखा बिक्री को जारी होते हैं अस्थाई लाइसेंस।
- दुकानदारों के पास अग्निशमन यंत्र और उससे जुड़े सभी प्रबंध होने चाहिए।
कब-कब हुई हैं घटनाएं
- 24 अक्टूबर 2018 को लहरतारा स्थित दोमंजिला मकान में अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से बच्ची समेत दो की मौत।
- 25 अक्टूबर 2016 को चेतगंज थाना के पितरकुंडा स्थित अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से छह लोगों की मौत हो गई थी।
-18 नवंबर 2016 को पिंतरकुंडा इलाके में कूड़े के ढेर में विस्फोट होने से एक सफाईकर्मी जख्मी हो गया था।
-एक फरवरी-17 को मंडुवाडीह पुलिस ने चार युवकों के पास एक टन विस्फोटक बरामद किया, जिससे हथगोला बनना था।