आइआइटी-बीएचयू के पुराछात्रों ने शिक्षा में ही शुरू किया स्टार्टअप, आनलाइन ट्यूशन को बनाया मजेदार
वीडियो के माध्यम से सीखने में बच्चों का ध्यान भंग होने की आशंका बनी रहती है। आइआइटी-बीएचयू के दो पूर्व छात्र आनलाइन ट्यूशन के विचार को स्टार्टअप सुपर व्हिज किड्स’ में बदलकर न केवल उसे रोचक बना रहे हैं बल्कि नन्हें-मुन्नों के संसार को आलोकित कर रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। सीधे वीडियो के माध्यम से सीखने में बच्चों का ध्यान भंग होने की आशंका बनी रहती है। आइआइटी-बीएचयू के दो पूर्व छात्र आनलाइन ट्यूशन के विचार को स्टार्टअप 'सुपर व्हिज किड्स’ में बदलकर न केवल उसे रोचक बना रहे हैं, बल्कि नन्हें-मुन्नों के संसार को आलोकित कर रहे हैं। सह-संस्थापक अतिशय जैन व जीत पारेख का मानना है कि बच्चों को प्रभावी ढंग से सिखाने के लिए एक समर्पित गुरु की उपस्थिति बहुत जरूरी है। इस मकसद के तहत एप्लीकेशन में वीडियो के साथ ही शिक्षक-छात्र संवाद के लिए लाइव क्लसेस का प्रबंध किया गया।
मातृभाषा में निपुणता के साथ ही वर्तमान में वैश्विक भाषा बन चुकी अंग्रेजी में अच्छी पकड़ वर्तमान समय की जरूरत है। पहले से ही बाजार में कई लर्निंग अप्लीकेशन मौजूद थे। ऐसे में अतिशय व जीत ने चीन का रूख किया। वहां आनलाइन ट्यूशन बाजार कैसे चल निकला इसकी मुकम्मल जानकारी एक महीने चीन में रहकर ली। विश्व में हर क्षेत्र में धाक जमाने के लिए चाइनीज भाषा के साथ ही अंग्रेजी में निपुणता की बाध्यता को समझते हुए चीन में अब तेजी से आनलाइन इंग्लिश ट्यूशन का बाजार चल निकला है। अतिशय के मुताबिक 'सुपर व्हिज किड्स’ में बच्चे औसतन 18 महीने का कोर्स करते हैं। इस मंच पर बच्चों को उनके सीखने के लक्ष्य के आधार पर कोर्स की रूपरेखा निर्धारित की गई है।
जाब करते हुए शुरू किया स्टार्टअप
अतिशय मूलरूप से मध्य प्रदेश के पन्नागांव के रहने वाले जबकि जीत गुजरात के राजकोट के रहने वाले हैं। वर्ष 2018 में दोनों ने क्रमश: बीटेक-सीएसई व बीटेक-माइनिंग पूरा किया। इसके बाद दोनों बंग्लुरु में साथ-साथ जाब करने लगे। इसी दौरान आनलाइन ट्यूशन में स्टार्टअप का विचार आया। इसे बेहतर तरीके से करने के लिए दोनों ने चीन जाकर पूरी जानकारी ली। नौकरी करते हुए दोनों अप्लीकेशन लांच करने की योजना बना ही रहे थे कि कोरोना महामारी ने दस्तक दी। लाकडाउन के दौर में आनलाइल ट्यूशन की जरूरत महसूस हुई तो अप्रैल 2020 में 'सुपर व्हिज किड्स’ लांच कर दिया गया। इससे भारत के छोटे-बड़े शहरों के बच्चों के साथ ही विदेशी छात्र भी जुड़ रहे हैं। वर्तमान में दोनों जाब छोड़ इसी में लग गए हैं।