गरीबों के घरौंदे में महंगाई ने की सेंधमारी, कुछ इस तरह निर्माण सामग्री की कीमतों ने दी जनता को दुश्वारी
महंगाई की आंच से अब कोई भी नहीं बच रहा है महंगाई की जद में हर आय वर्ग की आबादी आने से अब आवास भी महंगा हो गया है।
भदोही, जेएनएन। महंगाई की आंच से अब कोई भी नहीं बच रहा है, महंगाई की जद में हर आय वर्ग की आबादी आने से अब आवास भी महंगा हो गया है। खाना-पीना और रहना तो महंगा है ही, अब अपना घर बनाना भी गरीबों को अच्छा खासा मुश्किल देने लगा है। कारण कि मोरंग बालू, सरिया और ईंट के रेट पिछले दो महीने में इस समय सर्वाधिक बढ़े हैं। मोरंग छह सौ, सरिया आठ सौ जबकि ईंट का रेट प्रति हजार दो हजार रुपये बढ़े हैं। जो गरीब मकान एक कमरा बनवाना शुरू कर रहा है, उसका बजट निरंतर बढ़ ही रहा है। मजदूरी भी महंगी हो गई है। मिस्त्री आठ घंटे काम करने के बदले छह सौ रुपये जबकि राजगीर 400 रुपये मांग रहे हैं। स्थिति बहुत बिगड़ रही है। सीमेंट भी महंगा हो चुका है, इस तरह मुश्किल से पूरी हो गई है छत की आस। कैसे सुधरेगा जीवन, यही हर गरीब सरकार से पूछ रहा है।
सामान | अब | पहले |
मोरंग बालू | 7000 | 6400 |
गिट्टी मोटा | 7200 | 6700 |
गिट्टी पतला | 6000 | 5800 |
सीमेंट | 425 | 410 |
गंगा बालू | 2000 | 2000 |
(रेट प्रति 100 वर्ग फीट के हिसाब से)
सरिया के दाम भी आसमान पर
4300 : रुपये क्विंटल था अक्टूबर में दो से चार सूत
5100 : रुपये क्विंटल पहुंचा दो से चार सूत
5300 : रुपये क्विंटल है एक सूत का रेट
4500 : रुपये क्विंटल अक्टूबर में था एक सूत
ईंट का भाव भी खा रहा ताव
12000 : रुपये प्रति दो हजार दिसंबर में
10,000 : रुपये प्रति दो हजार नवंबर में
चार माह के भीतर महसूस कर रहे महंगाई की आंच
निर्माण सामग्री के रेट बीते चार महीने में बढ़े हैं। व्यापारियों की मानें तो बाजार में आवक कम हो रही है जबकि मांग ज्यादा है। इसके चलते समस्या बढ़ गई है। निर्माण में गुणवत्ता की भी कम महसूस की जा रही है। एक नंबर का ईंट प्रति एक हजार एक हजार रुपये महंगा हो गया है। मिट्टी की खुदाई पर सख्ती का असर है कि ईट की मांग कम और लागत ज्यादा हो चुकी है। लाल पेटी ईंट में भी 200 रुपये की तेजी महसूस की जा रही है।
पब्लिक है नाराज, मनाइये सरकार
ज्ञानपुर हॉस्टल चौराहा के पास मकान बनवा रहे आनंद कुमार ने बताया कि पिछले छह माह से मकान बनवा रहा हूं लेकिन प्रति माह मटेरियल के मूल्यों में वृद्धि होने से काम रोकना पड़ रहा। जो ईंट प्रति दो हजार 10 हजार रुपये में खरीदे थे वह अब 12 हजार रुपये की दर से खरीदना भारी पड़ रहा है। सीमेंट भी 20 रुपये चढ़ गया है।
अनुदान के आवास में कई मुश्किलें
प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना पर प्रत्येक लाभार्थी को मात्र ढाई लाख रुपये देती है जबकि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास पर 1.20 लाख रुपये दिये जा रहे हैं। चूंकि सामानों के रेट काफी महंगे हो चुके हैं, इसलिये यह सरकारी आवासों को धरातल पर उतारना टेढ़ी खीर होता दिखाई पड़ रहा है।