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पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा घरेलू उपचार, वाराणसी आयुर्वेद महाविद्यालय के अध्यापकों के सहयोग से दिया जाएगा आकार

रोग-व्याधियों में घरेलू उपचार को मुख्य रूप से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके अलावा सिलेंडर या कंसंट्रेटरट से आक्सीजन देना बिना सिलेंडर शरीर में आक्सीजन प्रबंधन बीपी लेना हृदयाघात की स्थिति में समय प्रबंधन इंजेक्शन लगाना के साथ ही सामान्य आयुर्वेदिक औषधियों की जानकारी भी पाठ्यक्रम में शामिल होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 09:22 AM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 09:22 AM (IST)
आपदा प्रबंधन कोर्स का निर्माण में राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के वैद्य व अध्यापकों का भी सहयोग लिया जाएगा।

वाराणसी अजय कृष्ण श्रीवास्तव। कोराना महामारी को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने एक सबक के रूप में लिया है। इसके व्यापक प्रभाव को देखते हुए प्राच्य विद्या का विश्वविद्यालय एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने में जुटा हुआ है। इसमें आपदा प्रबंधन के साथ-साथ फर्स्ट एड (प्राथमिक उपचार) को भी शामिल किया जाएगा। इसमें विभिन्न रोग-व्याधियों में घरेलू उपचार को मुख्य रूप से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके अलावा सिलेंडर या कंसंट्रेटरट से आक्सीजन देना, बिना सिलेंडर शरीर में आक्सीजन प्रबंधन, बीपी लेना, हृदयाघात की स्थिति में समय प्रबंधन, इंजेक्शन लगाना आदि के साथ ही सामान्य आयुर्वेदिक औषधियों की जानकारी भी पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी। विश्वविद्यालय का दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र इसका खाका खींच रहा है।

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उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अब तक आपदा प्रबंधन के तहत मुख्य रूप से आग, दुर्घटनाएं, औद्योगिक दुर्घटनाएं, भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, चक्रवात, बाढ़ और सूखा समेत विभिन्न आपदाओं के समय बचाव के संबंध में जानकारी दी जाती है। वहीं कोरोना महामारी में प्राकृतिक आपदा का व्यापक रूप देखने को मिला। इस महामारी में घरेलू इलाज और संक्रमितों में ऑक्सीजन की जरूरत अधिक देखने को मिली। डाक्टरों व पैरामेडिकल कर्मियों के कोविड सेंटरों में व्यस्त रहने व अन्य की शारीरिक दूरी को लेकर कठोर प्रतिबद्धता के कारण दिक्कतें भी आईं। इस तरह के कार्यों में प्रशिक्षित न होने के कारण उपलब्धता के बावजूद तमाम लोग ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयाेग नहीं कर सके। इसके अलावा इस महामारी में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में घरेलू नुस्खे भी खूब आजमाएं जा रहे हैं। पर्याप्त जानकारी के अभाव में कई लाेग मनमाने तरीके से घरेलू उपचार कर रहे हैं। इसके भी दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। इन तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय ने आपदा प्रबंधन नामक कोर्स को व्यापक रूप देने का निर्णय लिया है।

आयुर्वेद चिकित्सकों के सहयोग से बनेगा पाठ्यक्रम, मिलेगी डिग्री

आपदा प्रबंधन कोर्स का निर्माण में राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय (चौकाघाट) के वैद्य (चिकित्सकों) व अध्यापकों का भी सहयोग लिया जाएगा। विभिन्न विश्वविद्यालयों या संस्थाओं में अब तक शार्ट टर्म तक ही सीमित रहने वाले इस कोर्स को व्यापक रूप देते हुए तीन वर्षीय किया जाएगा। इसमें विकल्प भी होंगे। एक वर्ष का करने वाले छात्राें को सर्टिफिकेट, दो वर्षीय कोर्स करने पर डिप्लोमा व तीन साल के कोर्स में स्नातक की डिग्री प्रदान की जाएगी। भविष्य में इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय करने की भी योजना है।

आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम में घरेलू उपचार के अलावा कई जानकारी दी जाएगी

दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र के तहत वर्तमान में ज्योतिष एवं कर्मकांड, वास्तु शास्त्र और इंटीरियर डिजाइन में बैचलर ऑफ वोकेशनल (बी.वोक) मॉस्टर ऑफ वोकेशनल (एम.वोक) कोर्स चलाया जाएगा। सूबे का संभवत: यह पहला विश्वविद्यालय है जिसे बी.वोक तहत यूजीसी ने पीएचडी तक की अनुमति दी है। इस केंद्र के तहत अब आपदा प्रबंधन व आर्थिक प्रबंधन नामक दो और कोर्स जुलाई से शुरू करने की योजना था। कोरोना काल में फिलहाल ब्रेक लग गया है लेकिन पाठ्यक्रम बनाने का कार्य जारी है। आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम में घरेलू उपचार के अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर, सूई, सामान्य आयुर्वेद औषधियों की जानकारी भी शामिल किया जाएगा।

-प्रो. सुधाकर मिश्र, निदेशक, दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र


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