गृहमंत्री अमित शाह आज वाराणसी में सुनाएंगे हूण विनाशक विजय स्तंभ की गाथा, उद्घाटन सत्र को करेंगे संबोधित
गृहमंत्री अमित शाह भारतवंशैकवीर स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुन स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य विषय के अंतर्गत स्कंदगुप्त की वीरता पर प्रकाश डालेंगे।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू में गुरुवार दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने के लिए गृहमंत्री अमित शाह आ रहे हैं। स्वतंत्रता भवन में हो रहे संगोष्ठी का उद्घाटन करने के साथ ही वह बतौर मुख्य वक्ता 'गुप्तवंशैक-वीर : स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुन:स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य' विषय पर अपने विचार रखेंगे। संगोष्ठी का आयोजन भारत अध्ययन केंद्र की ओर से किया गया है। इसमें देश-विदेश से नामचीन विद्वान भाग ले रहे हैं।
गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह पहली बार वाराणसी आ रहे हैं। उनके साथ केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्र नाथ पांडेय व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी रहेंगे। ऐसे में बीएचयू परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। खुफिया एजेंसियां भी पूरी तरह से मुस्तैद हैं। विश्वविद्यालय परिसर में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न होने पाए इसके लिए पूरी रात बीएचयू सुरक्षाकर्मी सहित पुलिस भ्रमण करती रही।
गृहमंत्री अमित शाह बीएचयू स्थित स्वतंत्रता भवन में भारतवंशैक-वीर : स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक पुन:स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य विषय के अंतर्गत स्कंदगुप्त की वीरता पर प्रकाश डालेंगे। इस संगोष्ठी में स्कंदगुप्त के उन तथ्यों को उद्धरित करेंगे जिनकी गवाही वाराणसी से सटे गाजीपुर जनपद के सैदपुर तहसील अंतर्गत भितरी स्थित हूण विनाशक विजय स्तंभ देता है।
गाजीपुर जिले में सैदपुर से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग पांच मील की दूरी पर स्थित भितरी ग्राम है। ग्राम के बाहरी सीमा पर चुनार के लाल पत्थर से निर्मित एक स्तंभ खड़ा है जिसपर गुप्त शासकों की यशस्वी परंपरा के गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त का अभिलेख उत्कीर्ण है। यद्यपि अभिलेख का पत्थर जगह-जगह टूट गया है। बाईं ओर ऊपर से नीचे तक एक दरार सी पड़ गई है। इसके बाद भी संपूर्ण लेख मूल स्तंभ पर पूर्णतया स्पष्ट है। उसका ऐतिहासिक स्वरूप सुरक्षित है। लेख की भाषा संस्कृत है। छठीं पंक्ति के मध्य तक गद्य व शेष पद्य में है।
लेख पर कोई तिथि अंकित नहीं है। इसका उद्देश्य शार्गि्ङन विष्णु की प्रतिमा की स्थापना का अभिलेखन तथा उस ग्राम को, जिसमें स्तंभ खड़ा है, विष्णु को समर्पित करना है। स्तंभलेख में गुप्त साम्राज्य पर पुष्पमित्रों तथा हूणों के बर्बर आक्रमण का संकेत है। लेख के अनुसार पुष्पमित्रों ने अपना कोष और अपनी सेना बहुत बढ़ा ली थी और सम्राट कुमार गुप्त की मरणासन्नावस्था में उन्होंने गुप्त साम्राच्य पर आक्रमण किया। युवराज स्कंदगुप्त ने सेना का सफल नेतृत्व कर पुष्पमित्रों को पराजित किया।