दो हॉकी विश्व कप में खेल चुके हैं ललित उपाध्याय, कभी सोचते थे कि हम हैं छोटे शहर से
शिवपुर क्षेत्र के छोटे से गांव भगतपुर से निकले ललित ने यूपी कालेज में परमानंद मिश्रा से हॉकी की एबीसीडी सीखी और अब तक 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके है।
वाराणसी, जेएनएन। हॉकी बनारस में कब से खेली जा रही है इसका सही समय किसी को पता नहीं। हां, यह बात सबको मालूम है कि 80 के दशक में हॉकी परवान चढ़ा और ओलंपियन मोहम्मद शाहिद, विवेक सिंह(दोनो स्वर्गीय) और राहुल सिंह ने देश दुनिया में बनारस का नाम रोशन किया। उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दो हॉकी विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके ललित उपाध्याय दैनिक जागरण से रूबरू थे।
उनका कहना है कि कभी इस बात को मन में न आने दे कि वे छोटे से शहर से हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेल सकते हैं। बस खेल और शारीरिक और मानसिक फिटनेस पर अपना ध्यान रखना चाहिए। सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता है। खेल का पूरा आनंद उठाना चाहिए जब आपको खेलने में खुशी होगी तो प्रदर्शन अपने आप बेहतरीन होगा। टाइम पास के खेलने से बेहतर है खेल से दूर ही रहना चाहिए। खेलना फुल टाइम वर्क है। जैसे पर कक्षा में पढ़ते हैं वैसे ही आपको खेल मैदान पर खेलना होगा। तभी तरक्की के रास्ते खुलेंगे।
शिवपुर क्षेत्र के छोटे से गांव भगतपुर से निकले ललित ने यूपी कालेज में परमानंद मिश्रा से हॉकी की एबीसीडी सीखी और अब तक 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके है। भारत पेट्रोलियम में अधिकारी पद पर कार्यरत ललित ने बताया कि जिस तरह से वाराणसी और उत्तर प्रदेश में हॉकी का विकास हो रहा है, निश्चय ही अगले कुछ दिनों में यहां से और अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी निकलेगे। बनारस के सुमित कुमार व जूनियर में गोलकीपर प्रशांत चौहान, गोपी सोनकर और विशाल सिंह से काफी उम्मीदे हैं। गोरखपुर और लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय मैच होने से भी हॉकी को बढ़ावा मिलेगा। भीमराव अंबेडकर क्रीड़ा संकुल, बड़ा लालपुर में शनिवार को आल इंडिया पद्मश्री मोहम्मद शाहिद स्मृति हॉकी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले पूर्वांचल एकादश के खिलाडिय़ों को बताया इस प्रतियोगिता में देश में नामी टीमें आ रही है, आप बढिय़ा खेलेंगे तो नौकरी के अवसर मिल सकते हैं। ये टीमें स्पॉट सलेक्शन करती है।