यहां तो प्राथमिक विद्यालय के नाम पर पेड़ों के नीचे चलती है क्लास, अफसर की नजर नहीं
अभोली ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सरायरुद्दी से। स्कूल भवन निर्माण को लेकर उपजे विवाद के बाद पेड़ों के नीचे पहुंचे बच्चों व शिक्षकों की किसी ने सुधि लेना गंवारा नहीं समझा।
भदोही, जेएनएन। विभागीय अनदेखी या फिर लापरवाही की पराकाष्ठा, जो भी हो लेकिन प्राथमिक विद्यालय के नाम पिछले एक दशक से दरख्तों के साये में चल रही बच्चों की पढ़ाई ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मामला जुड़ा है जिले के अभोली ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सरायरुद्दी से। स्कूल भवन निर्माण को लेकर उपजे विवाद के बाद पेड़ों के नीचे पहुंचे बच्चों व शिक्षकों की किसी ने सुधि लेना गंवारा नहीं समझा। आज भी बच्चे सड़क के किनारे स्थित एक नीम व शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। हालांकि शिक्षकों की निष्ठा की तारीफ जरूर करनी होगी जो कि शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने में जुटे हुए हैं।
दरअसल, अभोली ब्लाक क्षेत्र के सराय रुद्दी गांव में वर्ष 2009-10 में प्राथमिक विद्यालय के स्थापना की स्वीकृति मिली। गांव की एक भूमि पर विद्यालय भवन का निर्माण भी शुरू कराया गया। निर्माण कार्य दीवाल स्तर तक पूरा भी कर लिया गया। इसी बीच भूमि को लेक विवाद उत्पन्न हो गया। काम उसी स्थिति में थम गया। विद्यालय का संचालन किराए के एक छोटे से कमरे में करा दिया गया। वह भी ऐसा कि जिसमें दो चार कुर्सियां व मेज के अलावां बैठने को कोई जगह नहीं है। नामांकित बच्चों को उसी कमरे के सामने स्थित पेड़ों के सामने बैठाकर इस आस में पढ़ाना शुरू कर दिया गया कि विवाद सुलझेगा तो भवन मिल जाय। तब से आज तक न तो विवाद सुलझा ने तो बच्चे किसी सुसज्जित भवन में पहुंचे। अधिकारियों ने भी त्वरित आश्वासन देकर मुंह मोड़ लिया।
नामांकित हैं 56 बच्चे, दो शिक्षकों की तैनाती
प्राथमिक विद्यालय सरायरुद्दी के नाम पर चल रहे विद्यालय में 56 बच्चों का नामांकन किया गया है तो दो शिक्षकों की तैनाती भी है। मंगलवार को पेड़ों के नीचे बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक मनीष कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि उन्होंने 2017 में समायोजन के दौरान यहां तैनाती कराई थी। जब पहुंचा तो किराए के एक कमरे में विद्यालय चलता मिला। बच्चों को बाहर पढ़ाया जाता था। जबकि कमरे में विद्यालयीय अभिलेख व सामान रखे जाते हैं। बारिश आदि के समय बच्चों को कमरे में बुला लिया जाता है।
बोले जिम्मेदार :
स्वीकृति के बाद विद्यालय भवन का निर्माण कराया जा रहा था। दीवार तक का काम पूरा हो गया था। इसी दौरान शुरू हुए विवाद में कुछ लोगों ने काम रोक दिया व भवन को कब्जे में ले लिया। विवाद का निबटारा नहीं हो सका है।
- रामलाल यादव, ग्राम प्रधान
भूमि विवाद को लेकर विद्यालय भवन का निर्माण फंस गया था। इस बारे में शिक्षकों को मौखिक आदेश दिया गया था कि नजदीकी विद्यालय में बच्चों को शिफ्ट कर पढ़ाया जाय। बच्चों को कल से नजदीकी प्राथमिक विद्यालय बवईं में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
- रविंद्र शुक्ला, बीईओ।