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काशी में हेमा का 'गंगा अवतार', सुषमा ने कहा- अदभुत, अविश्वनीय और अकल्पनीय

प्रवासी भारतीय दिवस समारोह में अभिनेत्री हेमा मालिनी ने इसे शास्त्रीय नृत्य के भावों से सजाया और कल-कल निनाद करती गंगा का प्रवाह विभोर करते हर दिल में जा समाया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 10:54 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 10:54 PM (IST)
काशी में हेमा का 'गंगा अवतार', सुषमा ने कहा- अदभुत, अविश्वनीय और अकल्पनीय

वाराणसी [प्रमोद यादव]। काशी आए प्रवासी भारतीयों का मंगलवार की शाम गंगा की जीवन यात्रा से सामना हुआ। ख्यात फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी ने इसे शास्त्रीय नृत्य के भावों से सजाया और कल-कल निनाद करती गंगा का प्रवाह विभोर करते हर दिल में जा समाया। प्रवासी भारतीय दिवस की दूसरी शाम गंगा पर आधारित नृत्य नाट्य का यह इंतजाम विभिन्न देशों से आए अपनों को अपनी संस्कृति-संस्कार से परिचित कराने के लिए किया गया। इसमें एलईडी पर जीवंत से चलचित्र, शानदार प्रकाश संयोजन व गीत संगीत के बीच नृत्य से हेमा ने मंत्र मुग्ध कर दिया।

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लगभग डेढ़ घंटे की प्रस्तुति में गंगा का उद्भव, निमित्त और शास्त्रीय- पौराणिक जीवन यात्रा के साथ ही वर्तमान स्वरूप दिखाया तो जीवनदायिनी के प्रदूषित होने के खतरों से अवगत कराया। उनका महत्व दर्शाते हुए खुद अपने अस्तित्व के लिए ऐसा न करने का संकल्प दिलाया और गंगा की दिव्य आरती की झांकी का दर्शन भी कराया। 

नाट्य की शुरूआत वैुकंठ वासिनी पुण्य सलिला गंगा के श्रीहरि चरण से प्रकट हो स्वर्ग में आनंद मग्न स्वच्छंद विचरण से हुई। धरा से आती राजा भगीरथ की पुकार उन्हें विचलित कर गई। श्रीहरि के निमित्त बताने पर ब्रह्माजी के कमंडल और फिर भगवान शिव की जटा से होते धरा का कोना-कोना हरा भरा करते जीवन दायिनी हो गईं।

शांतनु से विवाह, भीष्म का जन्म, महाभारत का युद्ध, भीष्म का प्राण त्याग के साथ ही बुद्ध, महावीर, शंकराचार्य समेत संतों का अवतरण और कालांतर में परतंत्र भारत के साथ ही सांस्कृतिक क्षरण का दौर देखा। देश आजाद हुआ लेकिन प्रदूषण के रूप में गंगा पर अत्याचार कम न हुआ। इससे क्षुब्ध जाह्नवी पुन: वैकुंठ प्रस्थान की तत्परता दिखाती हैं मगर पृथ्वीवासियों की क्षमा याचना पर उनकी भूल माफ कर देती हैं। इसके जरिए नृत्य नाट्य ने गंगा स्वच्छता अभियान में हर स्तर पर योगदान का संदेश भी दे दिया। सुरेश वाडेकर, कविता कृष्णमूर्ति, शंकर महादेवन, मिका सिंह, रेखा राव, हेमा देसाई व आलाप देसाई के सुरों में पद्मश्री रवींद्र जैन और शेखरास्तित्व का गीत-संगीत सजा। 

सुषमा ने प्रस्तुति को बताया अदभुत, अविश्वनीय और अकल्पनीय

कार्यक्रम में मौजूद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस नृत्य को देखकर इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने इस प्रस्तुति को अदभुत, अविश्वनीय और अकल्पनीय बताया


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