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वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से पक्षकार मामले की सुनवायी

ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्‍वनाथ मंदिर मामले में चल रही सुनवायी के दौरान शंंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरुपानंद सरस्‍वती के प्रतिनिधि और श्रीविद्यामठ से जुडे़ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से इस मामले मेंं पक्षकार बनने के मामले की सुनवायी जारी है।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 03:44 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 07:21 PM (IST)
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से इस मामले मेंं पक्षकार बनने के मामले की सुनवायी जारी है।

वाराणसी, जेएनएन। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी की अदालत में ज्ञानवापी मामले में पक्षकार बनाये जाने की स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। गुरुवार को सुनवाई के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ ने दलील दी कि प्रतिनिधित्व वाद में कोई भी पक्षकार बन सकता है। वादी (देवता) पक्ष का बेहतर प्रतिनिधित्व हो और भक्तों को जल्द से जल्द पूजा-पाठ का अधिकार मिले। इसी नियत से वादमित्र के तौर पर पक्षकार बनाने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से प्रार्थना पत्र अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। रामजन्मभूमि मुकदमा में भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पक्षकार थे और अदालत में उनकी ओर से महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए गए थे।

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर वादी प्राचीन मूर्ति स्वयंभू देवता ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेवरनाथ की ओर से पैरवी कर रहे वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आपत्ति जताई। उनकी ओर से दलील दी गई कि वर्तमान वाद की कार्यवाही को अनावश्यक रुप से विलंबित करने और लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह प्रार्थना पत्र दिया गया है। रामजन्म भूमि मुकदमा में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पक्षकार नहीं थे। उक्त मुकदमे में मात्र गवाह थे। वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि न्यायालय के आदेश पर 11 अक्टूबर 2019 में उन्हें वादी संख्या -एक का वादमित्र नियुक्त किया गया है। वादी संख्या एक (प्राचीन मूर्ति देवता स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेवरनाथ) के वादमित्र रहते दूसरा वादमित्र नहीं हो सकता है। ज्योर्तिलिंग विश्वेश्वरनाथ (विश्वनाथ) के प्रति विश्व के सभी शिवभक्तों एवं हिंदू सनातनधर्मियों की अगाध श्रद्धा व विश्वास कायम है इनमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी हो सकते हैं। परंतु इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि सभी को वादमित्र बना दिया जाए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मुकदमे से संबंधित अपना साक्ष्य और महत्त्वपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्य देकर उनकी मदद कर सकते हैं। इसके लिए उनको वादमित्र अथवा पक्षकार बनना आवश्यक नहीं है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की अपील पर अपनी आपत्ति दाखिल करने के लिए अंजूमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से रईस अहमद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता तौहिद खान ने समय मांगा। अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए आपत्ति प्रस्तुत करने एवं अग्रिम सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तिथि मुकर्रर कर दी।

उधर काशी विश्वेश्वरनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की पोषणीयता को लेकर लंबित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तिथि मुकर्रर की है।

बता दें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओ को पूजा पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेवरनाथ की ओर से पक्षकार पं.सोमनाथ व्यास,हरिहर पाण्डेय  आदि ने मुकदमा दायर किया था। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी द्वारा दस दिसंबर 2019 को परिसर का भौतिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की मांग गई थी।


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