ज्ञानवापी मस्जिद मामले में विवादित बोल पर अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी मामले में सुनवाई पांच जुलाई को
Gyanvapi Masjid case Varanasi वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में सोमवार को अदालत में सुनवाई का दिन था। दो मामलों में अलग अलग सुनवाई के दौरान अदालत ने अब अगली तारीख पांच जुलाई तय कर दी है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी प्रकरण में वाजूखाने में गंदगी और नेताओं की बयानबाजी पर दाखिल अर्जी को एसीजेएम पंचम के पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण एसीजेएम प्रथम विश्वजीत सिंह की अदालत में पेश किया गया। प्रभारी अदालत ने संबंधित पीठासीन अधिकारी के समक्ष पेश करने का आदेश देते हुए पांच जुलाई की तिथि नियत कर दी।
प्रकरण के अनुसार अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि छह मई को सर्वे टीम ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर कमीशन की कार्यवाही करने गई थी। जुमे की नमाज के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम पक्ष के लोग मौजूद थे। नमाजियों ने वजूखाने में हाथ-पैर धोए और गंदगी फैलाई, जबकि वह स्थान हमारे अराध्य भगवान शिव का स्थान है।
यह हिंदू समाज के लिए अपमानजनक है। एआइएमआइएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि ने ज्ञानवापी प्रकरण पर बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं पर कुठाराघात किया है। अधिवक्ता ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, मुफ्ती ए बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, कमेटी के संयुक्त सचिव सैय्यद मोहम्मद यासीन को भी प्रार्थना पत्र में शामिल किया है। उन्होंने कमीशन कार्यवाही के दौरान विरोध, बाधा पहुंचाने और वजूखाने में गंदगी फैलाने के आरोप में सभी आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।
जितेंद्र सिंह की याचिका पर नहीं हो सका फैसला : ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मूल स्वरूप को बदलने व धार्मिक प्रतीकों को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की याचिका पर सोमवार को फैसला नहीं आ सका। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने पुनरीक्षण याचिका की ग्राह्यता (सुनवाई को स्वीकार करने योग्य है या नहीं) पर फैसला सुरक्षित रखा है।
वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील पेश की थी। उन्होंने हाईकोर्ट के केस का उदाहरण कोर्ट के समक्ष रखा था। वादी ने ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रीकाशी विश्वेश्वर मंदिर के मूल स्वरूप को बदलने का आरोप लगाते हुए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एमएस यासीन व अन्य के खिलाफ एफआइआर की अपील करते हुए प्रार्थना पत्र दिया था। फैसला सुरक्षित होने के कारण पक्षकार उतावले दिखे। कई बार जिला जज की अदालत में जाकर आदेश की बाबत जानकारी लेते रहे।