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इन तीन फलों की तिकड़ी रोगों से करेगी आपकी रक्षा, जानें कैसे

त्रिफला यानी आवला, बहेड़ा और हरड़ तीन फलों का मिश्रण ये शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। ये चूर्ण कई बीमारियों से बचाता है ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 07:00 AM (IST)
इन तीन फलों की तिकड़ी रोगों से करेगी आपकी रक्षा, जानें कैसे

जागरण (वंदना सिंह) : त्रिफला यानी आवला, बहेड़ा और हरड़ तीन फलों का मिश्रण ये शरीर के लिए गुणों से भरपूर है। आयुर्वेद में इन्हें अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा गया है। त्रिफला में इन तीनों को बीज निकाल कर समान मात्रा में चूर्ण बनाकर कर लिया जाता है। कुछ वैद्य इन्हें 1,2 और 4 के अनुपात में क्रमश: मिलाकर भी बनाते हैं। कुल मिलाक इन तीन फलों की तिकड़ी का सेवन करके आप भी हो जाएंगे निरोग।

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चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार बताते हैं कि अनुसार आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को शरीर के लिए बहुत ही गुणकारी माना गया है। आमतौर पर लोग त्रिफला को कब्ज निवारक के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन त्रिफला केवल कब्ज की दवा नहीं है बल्कि एक उच्चकोटि की रसायन औषधि है।

आधुनिक विज्ञान में त्रिफला पर हुये शोध का निष्कर्ष निम्न है - यह अनेक गैर-संचारी रोगों जैसे हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, मनोरोग, श्वसन-तंत्र के रोगों आदि की रोकथाम में रसायन और औषधि के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। त्रिफला शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हुए फ्र -रेडीकल स्केवेंजिंग और पीड़ा या प्रदाह कम करते हुये हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करता है।

त्रिफला पर लिखे गए लगभग 250 शोधपत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि त्रिफला में अभी तक 174 बायोएक्टिव द्रव्य पाए गए हैं जो विभिन्न रोगों से बचाव करने में सक्षम है। कुछ वैज्ञानिकों द्वारा त्रिफला की फार्माकोलॉजी का अध्ययन बताता है कि त्रिफला कम से कम 15 रोग प्रकारों और 74 रोगों के लक्षणों के विरुद्ध प्रभावी है। त्रिफला में मुख्य रूप से एडॉप्टोजेनिक, इम्यूनोमोड्यूलेटर, एंटीऑक्सिडेंट, ज्वरनाशक, एनाल्जेसिक, जीवाणुरोधी, अनेक प्रकार के कैंसर रोकने वाला, ट्यूमर-विकास-रोधी, एंटीम्यूटाजेनिक, घाव भरने, दंतक्षयरोधी, तनावरोधी, अनुकूलक, हाइपोग्लिसीमिक, डायबिटीजरोधी, कीमोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव, कीमोप्रिवेंटिव, रेचक, भूख-वर्धक, गैस्ट्रिक एसिडिटी-रोधी जैसे कार्य-प्रभाव शामिल हैं।

त्रिफला का रसायन के रूप में प्रभाव डालने की प्रक्त्रिया मुख्य रूप से फ्री-रेडीकल स्केवेंजिंग है। इसके कार्यो में एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइम्स को बढ़ावा देना, लिपिड पेरोक्सीडेशन को रोकना, पीड़ाशामक, स्नायु-तंत्र का कायाकल्प आदि भी होते हैं। क्या है लाभ- एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी में भिगोकर सुबह उसके पानी से आखों को धोएं। इससे आखें स्वच्छ व दृष्टि अच्छी होती है। आखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं। गाय का घी व शहद के मिश्रण के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आखों के लिए वरदान स्वरूप है।

मुख की दुर्गध आ रही है तो त्रिफला से सुबह मंजन करने से दात व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।

त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक- एंटिसेप्टिक के बिना भी घाव जल्दी भर जाता है।

इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद आदि नेत्र रोग होने की संभावना नहीं होती।

मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह बहुत ही फायदेमंद है।

रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।

भोजन के साथ इसका प्रयोग करने से भोजन का पाचन ठीक से होता है।


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