Varanasi के सिर से उठ गया आधा दर्जन बुजुर्ग पेड़ों का साया, वृक्षों के गिरने से पर्यावरणविद् दुखी
वाराणसी में आंधी में रविवार रात खिलौने की तरह आधा दर्जन से अधिक पुराने पेड़ गिर गए। इसमें नीम-पीपल के साथ अन्य प्रजातियों के पेड़ शामिल हैैं।
वाराणसी, जेएनएन। आंधी में रविवार रात खिलौने की तरह आधा दर्जन से अधिक पुराने पेड़ भहरा गए। इसमें नीम-पीपल के साथ अन्य प्रजातियों के पेड़ शामिल हैैं। यह हाल शहर से लेकर गांव तक है। लॉकडाउन के असर को छोड़ दें तो शहर को प्रदूषण की मार से बचाने में इन पेड़ों की बड़ी भूमिका रही है। माना जा रहा है ऑक्सीजन प्रदाता व प्रदूषण से बचाने वाले पेड़ों के गिरने से आगे खतरा बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पेड़ों के गिरने के पीछे आंधी तात्कालिक कारक भले हो लेकिन मानवीय हस्तक्षेप भी काफी हद तक जिम्मेदार है। बरगद और पीपल जैसे पेड़ों का जड़ से उखडऩा हमें अंधाधुंध निर्माण कार्य पर सोचने को विवश किया है। शहर में नई-नई गगनचुंबी इमारतों ने इन पेड़ों की जड़ों को फैलने से रोका है। कमजोर जड़ के कारण आंधी तो उड़ा ही ले जाएगी।
बरगद व पीपल ऑक्सीजन उत्पादन के मामले में काफी समृद्ध
बीएचयू स्थित वनस्पति विभाग की पूर्व प्रमुख प्रो. मधुलिका अग्रवाल ने बताया कि बरगद व पीपल ऑक्सीजन उत्पादन के मामले में काफी समृद्ध हैैं। नीम का एंटीबायोटिक गुण आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखता है। बरगद न केवल ऑक्सीजन भरपूर देता है बल्कि जैव विविधता के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। इसकी टहनियों व डालियों पर कीड़े-मकोड़ों का आश्रय होता है। इसके फलों को खाकर पक्षी अपाच्य बीज बीट के रास्ते दूसरी जगह गिराते हैं, जिससे बरगद और पीपल कहीं भी स्वत: उगते हैं। एक- दो बरगद के पेड़ पूरे पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रख सकते हैं, जो कई पेड़ों के बराबर होता है। बरगद के पत्ते बड़े व घने होते हैैं जिससे बड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। एक शोध के मुताबिक बरगद व नीम के पेड़ दिन भर में 20 घंटे तक ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।