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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में खुद डाक्टरेट नहीं, करा दी दस छात्रों को पीएचडी

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एक ऐसे अध्यापक का मामला सामने आया है जो खुद पीएचडी कर रहे थे। बावजूद इसके उन्होंने अपने निर्देशन में दस छात्रों को शोध करा दिया।

By Edited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 10:22 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 11:24 AM (IST)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में खुद डाक्टरेट नहीं, करा दी दस छात्रों को पीएचडी

वाराणसी, जेएनएन। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एक ऐसे अध्यापक का मामला सामने आया है जो खुद पीएचडी कर रहे थे। बावजूद इसके उन्होंने अपने निर्देशन में दस छात्रों को शोध करा दिया। वर्ष 2005 से 2008 तक पुराने मामले पर अब सवाल उठाया गया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत की गई है। वहीं कुलसचिव एसएल मौर्य का कहना है कि उन्हें इस संबंध में अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर इसका परीक्षण कराया जाएगा।

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बिहार निवासी सुधांशु कुमा सिंह ने पोर्टल के माध्यम से मुख्यमंत्री से शिकायत की है। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय भी शिकायत दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि शारीरिक शिक्षा विभाग के एक अध्यापक ने वर्ष 2004 में पीएचडी में पंजीकरण कराया। उनकी पीएचडी वर्ष 2008 में पूरी हुई है। वहीं 2005 से 2008 के बीच उन्होंने अपने निर्देशन में दस छात्रों को शोध करा दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिनियम का हवाला देते हुए इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। साथ ही विश्वविद्यालय के कुलसचिव से भी उन्होंने यह पूछा है कि क्या पीएचडी करने वाले भी शोध करा सकते हैं। यदि ऐसा कोई नियम है तो कृपया अवगत कराने का कष्ट करें। यदि ऐसा नियम नहीं है कि किन परिस्थितियों में पीएचडी कर रहे शारीरिक शिक्षा के अध्यापक को शोध कराने की अनुमति दी गई। इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार कौन हैं।


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