बनारस और आसपास के जिलों में रोहिंग्या मुस्लिमों की फिंगर प्रिंट के सहारे होगी तलाश
देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने रोहिंग्याओं की पहचान को लेकर एक बार फिर गृह मंत्रालय ने सभी जिलों के आला अधिकारियों को उनकी पहचान के लिए चिटठी लिखी है।
वाराणसी । देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान को लेकर एक बार फिर गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने कवायद शुरू की है। देश में अवैध व शरणार्थी के रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के आंकड़े जुटाने के लिए अब तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर उनके फिंगर प्रिंट समेत अन्य बायोमीट्रिक जानकारियां जुटाने के निर्देश दिए हैं।
शुरू हुई सरकारी कवायद
विशेष सचिव अभिषेक प्रकाश ने सूबे के सभी डीएम, एसएसपी को पत्र लिखकर कहा है कि अवैध रोहिंग्या मुसलमानों के बायोमीट्रिक विवरण दर्ज किए जाएं। गृह मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश के तहत मानक के अनुरूप डिवाइस में फिंगर प्रिंट से लेकर अन्य विवरण दर्ज किए जाएं। जिस डिवाइस में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या के विवरण दर्ज हों, वह अंतर्राष्ट्रीय मानक पर खरा उतरे। इनके जहां भी कैंप हैं, वहां रहने वालों की संख्या समेत अन्य विवरण रजिस्टर में दर्ज करें।
चंदौली में थी सूचना
गृह मंत्रालय से दिशा निर्देश जारी होते ही आइबी समेत लोकल खुफिया एजेंसियां एलर्ट मोड पर आने के साथ ही उनकी तलाश में जुट गई है। खुफिया एजेंसियों को कुछ दिनों पूर्व सूचना मिली थी कि म्यामांर से भगाए गए कुछ रोहिंग्या परिवार वाराणसी के पड़ोसी जिले चंदौली में आकर ठहरे हैं। सूचना पर सक्रिय खुफिया एजेंसियों की जांच-पड़ताल फिलहाल चल रही है।
पहचान मुश्किल, कैसे दर्ज हो विवरण
अवैध रूप से वाराणसी समेत पूर्वाचल में मौजूद लगभग पचास हजार बांग्लादेशी खुफिया एजेंसियों के लिए पहले ही सिरदर्द थे क्योंकि जानते हुए भी उन्हें बांग्लादेशी घोषित करना टेढ़ी खीर है। बांग्लादेशियों के पास पश्चिम बंगाल व झारखंड सरकार की ओर से जारी किए गए पहचान पत्र मौजूद हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर खुफिया तंत्र फिलहाल कुछ खास नहीं कर पा रहा है क्योंकि रोहिंग्या भी अवैध रूप से देश में रह रहे बांग्लादेशियों की बस्तियों में शरण ले चुके हैं।