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बनारसी झुमके के आए अच्छे दिन

वाराणसी : अभी तक देश-दुनिया की जुबान पर बरेली के झुमके का ही नाम था। इस वर्चस्व को बनारसी

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Mar 2018 11:06 AM (IST)Updated: Tue, 27 Mar 2018 11:06 AM (IST)
बनारसी झुमके के आए अच्छे दिन
बनारसी झुमके के आए अच्छे दिन

वाराणसी : अभी तक देश-दुनिया की जुबान पर बरेली के झुमके का ही नाम था। इस वर्चस्व को बनारसी गुलाबी मीनाकारी वाले झुमके ने कड़ी चुनौती दी है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति को भी गुलाबी मीनाकारी का झुमका खूब भाया था। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें उपहार स्वरूप वो झुमका भेंट भी किया था। इसकी देश-विदेश की मीडिया में चर्चा भी हुई थी। इसका नतीजा रहा कि बनारस में गुलाबी मीनाकारी के शिल्पियों के पास आर्डर की भरमार हो गई। गुलाबी मीनाकारी के नेशनल अवार्डी कुंज बिहारी सिंह ने बताया कि इन दिनों इतने आर्डर मिल रहे हैं कि पूरा करने के लिए दिन-रात काम करना पड़ रहा है। जो लोग इस विधा को छोड़कर दूसरे कामों में लगे थे, अब वे भी बढि़या काम व अच्छा मेहनताना देख तेजी से वापस आने लगे हैं।

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पूर्वाचल से होता है 12 हजार करोड़ रुपये का निर्यात

सउदी अरब, कतर, ओमान, जार्डन, जर्मनी, रसिया, साउथ अफ्रीका आदि मुल्क में भी पूर्वाचल के हस्तशिल्प उत्पाद की खूब मांग रहती है। पूर्वाचल निर्यातक संघ (यूपिया) के अध्यक्ष दीप शंकर व्यास के अनुसार इन मुल्कों में अकेले 8,000-10,000 करोड़ रुपये की कालीन निर्यात होती है। वहीं कालीन सहित सभी प्रकार के हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पाद मिलाकर कर लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का सालाना निर्यात दुनियाभर में होता है। यूपिया के कोषाध्यक्ष जुनैद अहमद अंसारी के अनुसार अकेले फ्रांस में ही बनारसी वस्त्र, गुलाबी मीनाकारी, स्टोन क्राफ्ट, वुड कार्विग आदि का लगभग 500 करोड़ रुपये का निर्यात है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रा, व जर्मन राष्ट्रपति फ्रेंक वाल्टर स्टेनमायर के दौरे के बाद अंतरराष्ट्रीय फलक पर पूर्वाचल के हस्तशिल्प की पहचान पुख्ता हुई है। दीप शंकर व्यास कहते हैं कि आइजीएसटी के तहत आनलाइन रिफंड मिलना शुरू नहीं हुआ है। मई तक व्यवस्था में ठीक होने की संभावना है। इसके बाद निर्यात में काफी तेजी आएगी।


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