Move to Jagran APP

विश्वशांति के लिए जर्मन राष्ट्रपति ने की आराधना

वाराणसी : विश्व शांति के लिए जर्मन राष्ट्रपति फ्रेंक वाल्टर स्टेनमायर ने गुरुवार को सारनाथ स्थित

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Mar 2018 01:36 AM (IST)Updated: Fri, 23 Mar 2018 01:36 AM (IST)
विश्वशांति के लिए जर्मन राष्ट्रपति ने की आराधना
विश्वशांति के लिए जर्मन राष्ट्रपति ने की आराधना

वाराणसी : विश्व शांति के लिए जर्मन राष्ट्रपति फ्रेंक वाल्टर स्टेनमायर ने गुरुवार को सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना की। कहा दुनिया को आज सबसे अधिक शांति की जरूरत है। उन्होंने भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष का भी दर्शन किया। यह अवशेष सोने व हीरे मंडित माइक्रोस्कोपिक शीशे में पैक है, जो वर्ष में केवल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन दिन के लिए ही श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ निकाला जाता है। सरकार के विशेष अनुरोध पर जर्मन राष्ट्रपति को इसका दर्शन कराया गया। सारनाथ संग्रहालय, उत्खनन स्थल व मूलगंध कुटी विहार मंदिर देख अभिभूत हुए।

loksabha election banner

मंदिर पहुंचने पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव डा. के. मेधाकंर थेरो, सोसाइटी के उपाध्यक्ष प्रो. राममोहन पाठक व महाबोधि इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. बेनी माधव ने खतक (अंगवस्त्रम) भेंट कर जर्मन राष्ट्रपति का स्वागत किया। इस दौरान डा. थेरो ने विश्व कल्याण व स्टेनमायर के दीर्घायु व उनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की। राष्ट्रपति को भगवान बुद्ध की प्रतिमा व सोसाइटी द्वारा कुछ पुस्तकें भी भेंट की गईं। जर्मन राष्ट्रपति मंदिर परिसर में करीब दस मिनट तक रहें।

देखी संग्रहालय की आभा

जर्मन राष्ट्रपति फ्रेंक वाल्टर स्टेनमायर दोपहर करीब 12.50 बजे सारनाथ पुरातात्विक संग्रहालय पहुंचे। वहां पांच गैलरियों में रखी ऐतिहासिक महत्व की प्रतिमाओं के साथ अवशेषों को देखा। धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा में भगवान बुद्ध की प्रतिभा, राष्ट्रीय चिह्न शीर्ष सिंह सहित संग्रहालय के बारे में जानकारी ली। संग्रहालय देख भावविभोर हुए। उन्होंने अधीक्षण पुरातत्व व विद् डा. नीरज कुमार सिन्हा से संग्रहालय की तारीफ भी की। डा. नीरज ने बताया कि संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1910 में हुई थी। इस पर जर्मन राष्ट्रपति ने हैरानी जताते हुए कहा कि इतना पुराना होने के बाद भी संग्रहालय काफी मॉडर्न लग रहा है। उन्हें बताया गया कि समय-समय पर संग्रहालय अपडेट होता रहा है, इसलिए इसका मॉडर्न स्वरूप दिख रहा है। पैदल गए उत्खनन स्थल तक

करीब 25 मिनट संग्रहालय में बिताने के बाद जर्मन राष्ट्रपति स्टेनमायर पैदल ही उत्खनन स्थल तक गए। यहां सबसे पहले व्याख्यान कक्ष में लगी पुरानी फोटो के माध्यम से स्मारकों के बारे में जानकारी हासिल की। उत्खनन स्थल स्थित शीशे में बंद अशोक स्तंभ के बारे में भी पूछा। धर्मे स्तूप की परिक्रमा भी की। साथ ही डीएम योगेश्वर राम मिश्र सहित अन्य मौजूद लोगों के साथ ग्रुप फोटो भी ख्िाचवाई। करीब 25 मिनट उत्खनन स्थल पर बिताने बिताने के बाद वह दोपहर 1.40 बजे मूलगंध कुटी विहार मंदिर में प्रवेश किए। जर्मन के विश्वविद्यालयों में भी ¨हदी की पढ़ाई

मूलगंध कुटी विहार मंदिर परिसर में भ्रमण के दौरान महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष प्रो. राममोहन पाठक ने जर्मन राष्ट्रपति को भगवान बुद्ध के बारे में जानकारी दी। प्रो. पाठक ने उनके जर्मन मैक्समूलर के बारे में भी चर्चा की। इस पर उन्होंने कहा कि जर्मन के तमाम विश्वविद्यालयों में ¨हदी की पढ़ाई होती है। इन विश्वविद्यालयों में ¨हदी में रुचि रखने वाले जर्मन के लोग भी पढ़ते हैं। वन रसिया बजाकर किया भव्य स्वागत

सारनाथ पहुंचने पर जर्मन राष्ट्रपति का मथुरा की टीम ने वन रसिया बजाकर भव्य स्वागत किया। खजाना सिंह के नेतृत्व में मथुरा की टीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की। जर्मन राष्ट्रपति बीच-बीच में हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन भी कर रहे थे। दोपहर 1.55 बजे वे सारनाथ से ताज होटल के लिए रवाना हो गए। उन्होंने सारनाथ में करीब एक घंटा पांच मिनट समय बिताया।

सांस्कृतिक विरासत से हुए प्रभावित

जर्मन राष्ट्रपति फ्रेंक वाल्टर स्टेनमायर भारत की सांस्कृतिक विरासत से काफी प्रभावित रहे। उन्होंने पुरातात्विक संग्रहालय के विजिटर रजिस्टर में इस बात का जिक्र भी किया है। मूलगंध कुटी विहार मंदिर विजिटर रजिस्टर में उन्होंने बुद्ध के बारे में जानकारी देने व मेहमाननवाजी के लिए लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद किया।

-----

'मैं आपकी सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि से बहुत प्रभावित हूं। इस जगह के आसपास व बौद्ध धर्म की शुरुआत के बारे में मुझे बताने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

-फ्रेंक वाल्टर स्टेनमायर, जर्मन राष्ट्रपति


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.