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रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव संग गौरा चलीं ससुराल, बाबा पर बरसे अबीर गुलाल

रंगभरी एकादशी पर गुरुवार को बाबा विश्वनाथ जब गौरा को विदा कराकर शाही पालकी पर निकले तो छतों से पुष्प वर्षा के साथ श्रद्धालुओं ने अबीर-गुलाल अर्पित कर नयनभिराम झांकी का दर्शन किया।

By Edited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 02:46 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 08:38 AM (IST)
रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव संग गौरा चलीं ससुराल, बाबा पर बरसे अबीर गुलाल

वाराणसी, जेएनएन। रंगभरी एकादशी पर गुरुवार को बाबा विश्वनाथ जब गौरा को विदा कराकर शाही पालकी पर निकले तो छतों से पुष्प वर्षा के साथ श्रद्धालुओं ने अबीर-गुलाल की अर्पित कर नयनभिराम झांकी का दर्शन किया। डमरू के डम-डम की गूंज और हर-हर महादेव के उद्घोष का ऐसा संयोजन हो रहा था जैसे दोनों एकाकार होकर बाबा के स्वागत में अपने भक्तिभाव को न्योछावर कर रहे हों। गौना के मौके पर हर कोई बाबा को गौरा व पुत्र गणेश के साथ देखने को आतुर था। उनके दर्शन के लिए श्रद्धालु तीन घंटे से अधिक समय तक सड़क किनारे, मकान की छतों पर बरामदे में खड़े होकर टकटकी लगाए रहे।

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किसी भी तरह की हलचल होने पर लोग हर हर महादेव के उद्घोष के साथ अपनी उत्सुकता को शात कर रहे थे। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से शाम को पांच बजे शाही ठाठ-बाट के साथ जब पालकी पर गौरा के साथ बाबा और प्रथम पूज्य गणेश निकले तो श्रद्धालुओं की उत्सुकता थम गई। छतों के साथ गलियों में खड़े श्रद्धालु गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों के साथ अबीर-गुलाल की ऐसे उड़ेल रहे थे मानों बारिश हो रही हो। इसके चलते गलियों में रेड कारपेट जैसा बिछ गया। कुछ देर के लिए ऐसा आभास हुआ मानों संपूर्ण देवलोक ही बाबा के इस मांगलिक उत्सव में शामिल होने को धरा पर उतर आया हो।

इस अविस्मरणीय पल को देखने के लिए काशी के साथ देश-विदेश के श्रद्धालु महंत आवास व बाबा दरबार में पहुंचे थे। गौने की बरात टेढ़ीनीम से विश्वनाथ गली होते हुए ढुंढिराज गणेश मंदिर से होकर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंची तो वहां पर भी भक्तों ने अबीर-गुलाल उड़ाकर स्वागत किया। बाबा की अगवानी के लिए मंदिर परिसर में रेड कार्पेट बिछाया गया था। यहां भक्तों ने बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलकर बाबा के चरणों में शीश नवाया और उनसे कुशलता का आशीर्वाद मांगा। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से पहली बार गौरा का गौना निकलते देखकर मोहल्ले वाले भी धन्य थे। उन्हें कभी इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि बाबा की पालकी उनके दरवाजे से गुजरेगी। इस विशिष्ट आयोजन में लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

354 साल के बाद बदला स्थान अब तक बाबा के गौने की बरात रेड जोन स्थित महंत आवास से निकलती थी और मंदिर तक जाती थी। इसके चलते सरस्वती फाटक, नीलकंठ, कालिका गली और लाहौरी टोला का क्षेत्र गुलजार रहता था। अब विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के चलते महंत को अधिग्रहित कर लिया गया है। ऐसे में महंत आवास टेढ़ीनीम स्थानांतरित हो गया है इसलिए यह पहला मौका है जब 354 साल बाद बरात टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से निकली।


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