गंगा-वरुणा किनारे के वाशिंदे हैं दहशत में, उदास मन से बैठे हैं दूसरी मंजिल पर varanasi news
गंगा ही मुसीबत तो गंगा ही खेवनहार। एक ओर बढ़ती बाढ़ से दुश्वारियां तो दूसरी ओर गंगा से ही दुहाई।
वाराणसी, जेएनएन। गंगा ही मुसीबत तो गंगा ही खेवनहार। एक ओर बढ़ती बाढ़ से दुश्वारियां तो दूसरी ओर गंगा से ही दुहाई। मतलब साफ है दूर दराज से आकर गंगा किनारे बस चुके वाशिंदे दहशत में हैं। घर छोड़ नहीं सकते और बाढ़ से लड़ नहीं सकते। ऐसे में बीच का रास्ता तलाश रहे हैं। कोई गंगा की पूजा कर रहा है तो कोई ऊपरी मंजिल पर व्यवस्था।
सामने घाट के शिवराज नगर कालोनी निवासी पंडित रितुराज चौबे के घर के सामने बुधवार को सुबह ही सुबह भीड़ जुटी थी। चर्चा बस एक ही, गंगा मइया की। बाढ़ का पानी घर से महज चार गज दूर और दुश्वारियां घर में प्रवेश करने को उतावली। बावजूद इसके चेहरे पर कोई बेचैनी का भाव नहीं। उन्हें अब भी विश्वास है कि गंगा मइया यहीं से वापस हो जाएंगी। एक दिन पहले उनके मकान से चार घर पीछे के रहनवार देवाशीष दुबे को भी यही विश्वास था लेकिन बाढ़ से कोई मुरव्वत नहीं मिली। अब वे अपने मकान की दूसरी मंजिल पर ठिकाना बनाए बैठे हैैंं। उदास भाव से साइकिल व बाइक से आने-जाने वालों को देख रहे हैं।
वैष्णो नगर कालोनी में महिलाएं चर्चा में मशगूल हैं। एक हाथ से सिर का पल्ला ठीक करते हुए पप्पू बो भौजी गली से गुजर रहे गिल्लू यादव से पूछ बैठतीं हैं कि अरे गिल्लूआ बाढ़ की स्थिति कैसी हैं। गंगा मइया बढ़ रही हैं या स्थिर हैं। गिल्लू का जवाब बड़ा दार्शनिक था, अरे का बताईं गंगा कब घटेंगी और कब बढ़ जाएंगी ये तो केवल बाबा भोलेनाथ ही बता सकते हैं। फिलहाल बढ़ाव जारी है। जैसे-जैसे कालोनी के अंदर प्रवेश करिए वैसे-वैसे दुश्वारियां सामने आती जाएंगी। १०० मीटर आगे जाने पर घुटने भर पानी में भी आवागमन जारी था। वहां के मकानों में केवल एक-एक सदस्य थे। पूरे परिवार को दो दिन पहले ही दूसरी जगहों पर भेज चुके थे।
वरुणा मचा रही तबाही
वरुणा किनारे का दृश्य अधिक भयावह है। वहां तो एक-एक मंजिल तक डूब चुके हैं। यहां के बाढ़ पीडि़त मकान की छतों पर नहीं बल्कि बाकायदा विस्थापित हो चुके हैं। बतौर नजीर सरैया प्राथमिक विद्यालय को ले सकते हैं। वहां कई मोहल्लों के लोग इस विद्यालय में शरण लिए हुए हैं।
वॉऊ, सेल्फी तो बनती है
गंगा किनारे ज्ञान प्रवाह के पास दूसरा नजारा था। बीएचयू से आए कुछ छात्र-छात्राएं बाढ़ को उत्सव के रूप में लिए हुए थे। एक लड़की अचानक गंगा को देखते हुए चिल्लाई ओ माय गॉड, हाऊ इज सीन। वॉऊ, कितना सुंदर, वाह ऐसे में सेल्फी तो बनती है। इसके बाद एक कतार में खड़े आधा दर्जन छात्र-छात्राएं सेल्फी लेने लगते हैं।