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गंगा दशहरा : गंगा से नेह का नाता जताएगी काशी

वाराणसी में सनातन धर्म में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को दस पापों को हरने वाली मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण 24 मई को है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 05:28 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 05:34 PM (IST)
गंगा दशहरा : गंगा से नेह का नाता जताएगी काशी

प्रमोद यादव, वाराणसी : सनातन धर्म में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को दस पापों को हरने वाली मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण माना जाता है। सनातनधर्मी इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार मां गंगा का अवतरण हस्त नक्षत्र, बुधवार, कन्या राशि, वृषभ लग्न में हुआ था। श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार गंगा दशहरा इस बार 24 मई को मनाया जाएगा। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि 23 मई की रात 9.36 बजे लग रही है जो 24 मई की रात 8.01 बजे तक रहेगी। उदया तिथि अनुसार इस तिथि को ही गंगा अवतरण दिवस का संयोग बन रहा है। अनुष्ठान विधान

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गंगा दशहरा पर काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान करने का शास्त्रों में बखान है। स्नानोपरांत मां गंगा का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन और गंगा सहस्त्रनाम, गंगा लहरी, गंगा गायत्री मंत्र आदि से मां गंगा की आराधना-वंदना करनी चाहिए। गरीबों-असहायों को दान और ब्राह्मणों को भोजन कराने का भी विधान है। इससे दस तरह के पापों का नाश, चारों पुरुषार्थो की प्राप्ति और वैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है। पौराणिक कथा

राजा सगर द्वारा अश्वमेध यज्ञ का संकल्प और उसकी परंपरा अनुसार अश्वमेध यज्ञ का प्रतीक घोड़ा छोड़ा गया। इंद्र ने घोड़े को चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। राजा सगर ने अपने 60 हजार पुत्रों को अश्व की खोज के लिए भेजा। कपिल मुनि के आश्रम में घोड़ा पाकर सगर पुत्र उन्हें तंग करने लगे। कपिल मुनि ने तपस्या भंग होने पर सगर के पुत्रों को श्राप देकर भस्म कर दिया। सगर की पांचवीं पीढ़ी में राजा भगीरथ ने ब्रह्मा की तपस्या कर गंगा को प्रसन्न कर पृथ्वी पर ले आने का जतन किया। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मा गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव शकर की जटाओं में पहुंचीं। इस दिन को गंगा सप्तमी यानी गंगा उत्पत्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भगवान शिव के लट खोलने पर गंगा की दस धाराएं हो गई। नौ धाराएं नौ गंगा के नाम से हिमालय में बहने लगीं जिनमें 15 कलाओं का समावेश था। दसवीं धारा को महादेव ने विदसर सरोवर में डाला और यही धारा गोमुख से पहली बार धरती पर प्रगट हुई। इस धारा में शिवकृपा से 16 कलाओं का समावेश था और यह धारा भागीरथी कहलाई। शास्त्रों के अनुसार मां गंगा मनुष्यों के दस पापों का नाश करती हैं। इसी कारण गंगा के धरती पर अवतरण का दिन ज्येष्ठ शुक्ल दसमी गंगा दशहरा कहलाया। ग्यारह हजार दीपों से जगमग होगा गंगा तट

गंगा और आदि गंगा गोमती तट पर कैथी स्थित मार्कडेय महादेव धाम को गंगा दशहरा पर जगमग करने की तैयारी है। नवनिर्मित गंगा घाट पर भव्य आरती के साथ पूजन किया जाएगा। स्वच्छता अभियान के साथ ही 11 हजार दीप जलाए जाएंगे। गंगा आरती संयोजक पंकज गिरी ने बताया कि संयोजन में ग्रामवासियों के साथ अन्य श्रद्धालु भी सहयोग कर रहे हैं। इसके अलावा दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से महाआरती की जाएगी। गंगोत्री सेवा समिति विशेष आरती के साथ ही सांस्कृतिक आयोजन भी करेगी।


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