वाराणसी में चोरी की गाडि़यां दर्ज कराने वाला गिरोह फिर सक्रिय, पुलिस के आने से पहले हुए फरार
वाराणसी में सक्रिय गिरोह के सदस्य सात और वाहनों को दर्ज कराने परिवहन कार्यालय पहुंच गए। पुलिस के आने से पहले ही गिरोह के सदस्य और चालक चकमा देकर फरार हो गए।
वाराणसी, [जेपी पांडेय]। फर्जी अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) और कागजातों के सहारे परिवहन कार्यालय में चोरी की गाडिय़ों को दर्ज कराने वाले गिरोह फिर सक्रिय हो गए हैं। वे प्रदेश के कई जिलों के परिवहन कार्यालयों में चोरी की गाडिय़ों को दर्ज करा चुके हैैं। पिछले दिनों बनारस में चोरी की 31 गाडिय़ों के दर्ज होने का मामला उजागर होने पर शासन ने दो एआरटीओ समेत बाबू को निलंबित कर दिया था। अभी मामले की जांच चल ही रही थी कि सक्रिय गिरोह के सदस्य सात और वाहनों को दर्ज कराने परिवहन कार्यालय पहुंच गए। वे अधिकारी और बाबू पर सातों गाडिय़ों को दर्ज करने का दबाव बना रहे थे लेकिन गाड़ी लाने को तैयार नहीं थे। परिवहन अधिकारी ने विश्वास में लेकर एक टैंकर को मंगाया और एनओसी की जांच कराई तो फर्जी निकला। टैंकर को खड़ा कराकर पुलिस को बुलाया गया तो गिरोह के सदस्य और चालक चकमा देकर फरार हो गए। टैंकर बड़ागांव थाने में खड़ा है।
अरुणाचल प्रदेश से लेकर आया था टैंकर की एनओसी
गिरोह का सदस्य टैंकर की एनओसी अरुणाचल प्रदेश से लेकर आया था। टाटा कंपनी टैंकर के चेचिस और इंजन नंबर का कोई चेचिस जारी नहीं होने की बात कह रहा है। दूसरे प्रदेश से फर्जी एनओसी और कागजात लाकर परिवहन कार्यालय में दर्ज कराकर सैकड़ों गाडिय़ां सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं। गिरोह के सदस्य इस काम के लिए परिवहन कर्मियों का सहारा लेते हैं। वे थोड़े से फायदे और लालच में गाडिय़ों को परिवहन कार्यालय में दर्ज कर देते हैं। एक दशक में बनारस में दो-चार नहीं, बल्कि 100 से अधिक चोरी की गाडिय़ां दर्ज होने का मामला उजागर हो चुका है लेकिन खुद के फंसने के डर से विभागीय कर्मचारी फाइलों को दबा रखे हैं।
वर्ष 2003 में तीन बस, 2012 में चोरी की पांच दर्ज गाडिय़ां पकड़ी गई थीं जिसमें जीप और कार थे। पिछले साल दिसंबर में पांच ट्रक और टैंकर ऐसे पकड़े गए जिनके चेचिस व इंजन नंबर एक और गाड़ी नंबर अलग-अलग थे। उप परिवहन आयुक्त वाराणसी परिक्षेत्र (टीटीसी) लक्ष्मीकांत मिश्रा ने खुद परिवहन कार्यालय पहुंचकर मामले की जांच की तो चोरी की गाडिय़ों की संख्या 25 पहुंच गई लेकिन एक ट्रक दर्ज नहीं हो सका था। जांच आगे बढ़ी तो सात और चोरी की गाडिय़ों के दर्ज होने का मामला उजागर हुआ। कार्यालय में चोरी की दर्ज 31 गाडिय़ों की जांच अभी चल ही रही थी कि गिरोह के सदस्य और गाडिय़ों कोदर्ज कराने पहुंच गए। इटावा में दर्ज 45 चोरी की गाडिय़ों में वहां भी एआरटीओ निलंबित हो चुके हैं।
एसआइटी कर रही जांच
चोरी की दर्ज 31 गाडिय़ों की जांच एसआइटी कर रही है। इसमें दोनों एआरटीओ और बाबू से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने पंजीयन लिपिक को जेल भेज दिया है। एसआइटी की जांच में कई और नाम सामने आए हैं जो जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे।
दर्ज कराकर निकालते हैं डुप्लीकेट आरसी
बाहर से आई चोरी की गाडिय़ों को परिवहन कार्यालय में दर्ज कराने के साथ गिरोह के सदस्य डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन किताब (आरसी) निकालते हैं जिससे पिछला रिकार्ड आरसी में दिखाई नहीं दे। बाद में वे परिवहन कर्मियों की मिलीभगत से फाइल को गायब करा देते हैं जिससे पिछला रिकार्ड खोजना मुश्किल होता है।
सरकारी विभागों में लगाते हैं वाहन
चोरी के वाहन परिवहन कार्यालय में दर्ज कराने वाले उस वाहन को सरकारी विभागों में लगाते हैं जिससे कोई अधिकारी रास्ते में चेकिंग नहीं करे। टैंकर पेट्रोल, डीजल, गैस, सिरका, एफसीआइ आदि में लगाते हैं। चोरी के दर्ज 31 वाहनों में ज्यादातर इसी में थे।
एआरटीओ एके राय ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश से टैंकर की एनओसी लेकर आए थे। मोबाइल पर बात की गई तो वहां के एआरटीओ ने एनओसी जारी नहीं होने की बात कही। यही बात टाटा कंपनी भी कह रही है। टैंकर को बड़ागांव पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया है। दोनों स्थानों से लिखित जवाब आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।