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गणेश चतुर्थी : 18 दिसंबर को गणेश चतुर्थी व्रत का अयोजन, व्रत और पूजन से मिलता है पुण्‍य फल

गणेश चतुर्थी इस माह 18 दिसंबर को पड़ रही है। भारतीय संस्कृति के हिंदू धार्मिक परंपरा में श्री गणेश की महिमा अपरंपार मानी गई है। समस्त देवताओं में श्री गणेश जी की पूजा का विधान रहा है। गणेश पूजा से ही समस्त शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 12:37 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 12:37 PM (IST)
गणेश चतुर्थी इस माह 18 दिसंबर को पड़ रही है।

वाराणसी, जेएनएन। गणेश चतुर्थी इस माह 18 दिसंबर को पड़ रही है। भारतीय संस्कृति के हिंदू धार्मिक परंपरा में श्री गणेश की महिमा अपरंपार मानी गई है। समस्त देवताओं में श्री गणेश जी की पूजा का विधान रहा है। गणेश पूजा से ही समस्त शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं। गौरी नंदन श्री गणेश की पूजा अर्चना तो कभी भी की जा सकती है लेकिन चतुर्थी तिथि के दिन की गई पूजा विशेष फलदाई मानी गई है। काशी के ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि गणेश चतुर्थी के नाम से जानी जाती है।यह तिथि इस बार 18 दिसंबर को पड़ रही है। तिथि 17 दिसंबर को दिन में 3:18 बजे शुरू होगी जो अगले दिन शुक्रवार 18 दिसंबर को दिन में 2:30 तक रहेगी।

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पूजन की परंपरा : श्री गणेश चतुर्थी व्रत के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने देवी देवता की पूजा अर्चना करने के उपरांत गणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए एवं श्री गणेश चालीसा एवं श्री गणेश स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। कुंडली के अनुसार श्री गणेश चतुर्थी के दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करना चाहिए। दाहिने हाथ में जल लेकर पुष्प, फल, गंध व कुश लेकर श्री गणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संपूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन पूर्वाभिमुख उत्‍तराभिमुख होकर श्री गणेश की पंचोपचार, दशोउपचार अथवा षोडशोपचार पूजा अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेश को दूर्वा एवं मोदक अति प्रिय है, इसलिए दूर्वा की माला, ऋतु फल एवं मोदक अर्पित अवश्य करना चाहिए।

ग्रह होते हैं शांत : जिनके जन्म कुंडली के अनुसार ग्रहों की महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा चल रही हो उन्हें गणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्री गणेश की पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। गणेश चतुर्थी का व्रत महिला, पुरुष एवं विद्यार्थियों के लिए समान रूप से फलदाई है। श्री गणेश पुराण के अनुसार भक्ति भाव व पूर्ण आस्था के साथ किए व्रत से जीवन में सौभाग्य की अभिवृद्धि होती है साथ ही जीवन में मंगल कल्याण होता रहता है।


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