वाहनों के टेंडर का नवीनीकरण कर हो रहा लाखों का खेल, शासन के निर्देशानुसार प्रत्येक वर्ष होनी चाहिए ई-टेंडरिंग
वाहन टेंडर का नवीनीकरण कर लाखों रुपये का खेल कर दिया गया है। जबकि वाहनों का टेंडर प्रत्येक वर्ष होना चाहिए।
गाजीपुर [अविनाश सिंह]। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचारी इस कदर हावी हो गए हैं कि शासन की नई गाइड लाइन का पालन करने की जगह पुराने गाइड लाइन में ही गड़बड़झाला कर प्रत्येक महीनों लाखों रुपये गटक जा रहे हैं। शासनादेश के अनुसार 10 लाख रुपये से अधिक के टेंडर को ई-टेंडरिंग कराना है। मगर यहां ईं-टेंडरिंग और मैनुअल तो दूर पुराने का ही तीन वर्षों से वाहन टेंडर का नवीनीकरण कर लाखों रुपये का खेल कर दिया गया है। जबकि वाहनों का टेंडर प्रत्येक वर्ष होना चाहिए। अब ऐसा क्यों किया जा रहा है, यह तो संबंधित लोग ही जानते होंगे, लेकिन इसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद 10 लाख रुपये से अधिक के सभी टेंडर का ई-टेंडरिंग करने का शासनादेश जारी हुआ। ऐसा हो भी रहा है, मगर जिले का स्वास्थ्य महकमा अभी अपनी मनमानी ही कर रहा है। पिछले वर्ष मरीजों के भोजन के टेंडर में हो-हल्ला मचने के बाद इसे आनलाइन कर दिया गया, लेकिन सूत्रों के अनुसार वाहनों के टेंडर का पिछले वर्ष की तरह इस बार भी नवीनीकरण कर दिया गया है वो भी मैनुअली। एक वाहन को महीने में करीब 35 हजार रुपये किराया होता है और निर्धारित किमी से अधिक वाहन चले तो उसका अलग से रेट निर्धारित है। जबकि नियमत: वाहनों की प्रत्येक वर्ष निविदा निकाली जानी चाहिए। इस बारे में सीएमओ डा. जीसी मौर्या ने बताया कि पिछले वर्ष ई-टेंडरिंग हुआ था। इस वर्ष की निविदा से संबंधित कागज तैयार किया जा रहा है। इसके बाद फोन काट दिया। फिर उनसे दो बार संपर्क किया गया, लेकिन उचित जवाब नहीं मिल पाया। कहा कि एक कार्यक्रम में हैं, माइक की आवाज आ रही है, बाद में काल करते हैं।