विंध्याचल मंदिर में निकास द्वार से प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध, पंडा-पुलिस बवाल के बाद मंदिर में बढ़ाई गई सख्ती
निकास द्वार से दर्शन कराने को लेकर हुए विवाद और पंडा-पुलिस के बीच हाथापाई की घटना को पुलिस प्रशासन ने गंभीरता से लिया है।
मीरजापुर, जेएनएन। निकास द्वार से दर्शन कराने को लेकर हुए विवाद और पंडा-पुलिस के बीच हाथापाई की घटना को पुलिस प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। सोमवार से मंदिर में नियमानुसार दर्शन कराने को लेकर सख्ती बरतनी शुरू की गई। साथ ही निकास द्वार से प्रवेश पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया गया। अब वीआइपी के नाम पर भी निकास द्वार से प्रवेश संभव नहीं है। पंडा समाज ने इस प्रक्रिया का स्वागत किया है।
ङ्क्षवध्यवासिनी मंदिर में सामान्यतया रोजाना 50 हजार से ज्यादा दर्शनार्थी आते हैं। समस्या तब होती है जब नियमानुसार लाइन में न लगकर निकास द्वार से दर्शन कराया जाने लगता है। मंदिर में तैनात करीब आधा दर्जन तीर्थ पुरोहित जिन्हें पुलिस का भी संरक्षण मिला होता है, यह काम करते हैं। इनकी देखादेखी जब अन्य तीर्थ पुरोहित भी निकास द्वार से प्रवेश कराने लगते हैं, तब समस्या बढ़ जाती है। रविवार को हुए विवाद का यही कारण रहा। इसे देखते हुए पुलिस ने अब निकास द्वार से प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि सुबह पांच बजे से शाम चार बजे तक चरण स्पर्श पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
निकास से प्रवेश करना शास्त्र के विरुद्ध
निकास द्वार से प्रवेश करके मां विंध्यवासिनी का दर्शन करना न सिर्फ शास्त्र विरुद्ध है बल्कि अहितकारी भी है। पुजारी अनुज पांडे ने बताया कि शिवपुराण के अनुसार प्रथम पूज्य श्रीगणेश का दर्शन किए बिना मां का दर्शन करना गलत परंपरा है। भावत पुराण में भी इसका जिक्र है और अनाधिकृत प्रवेश करने पर मां ने स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को दंडित किया था। यह व्यवस्था सिर्फ असहाय, बुजुर्ग लोगों के लिए थी लेकिन इसे धन कमाने का जरिया बना लिया गया। वहीं गौतम द्विवेदी ने कहा कि निकास द्वार प्रवेश के लिए कतई नहीं है।
इस बारे में एसपी डाक्टर धर्मवीर सिंह ने कहा कि यह नियम पहले से ही था लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा था। चरण स्पर्श कराने के नाम पर भी गलत प्रक्रिया अपनाई जा रही थी इसलिए इस पर रोक लगाई गई है। श्रद्धालुओं को कोई समस्या नहीं होगी।