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काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रेजिडेंट की हड़ताल से मरीज-तीमारदार बेहाल

काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदर लाल अस्पताल व ट्रामा सेंटर के रेजिडेंट्स के सोमवार को दो दिवसीय हड़ताल पर चले जाने से यहां की चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित रही।

By Edited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 01:22 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 10:38 AM (IST)
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रेजिडेंट की हड़ताल से मरीज-तीमारदार बेहाल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रेजिडेंट की हड़ताल से मरीज-तीमारदार बेहाल
वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदर लाल अस्पताल व ट्रामा सेंटर के रेजिडेंट्स के सोमवार को दो दिवसीय हड़ताल पर चले जाने से यहां की चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित रही। इस कारण जहां ओपीडी में समय से पहले पंजीयन बंद कर दिया गया, वहीं दूर-दराज के कई मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा। ओपीडी में रेजिडेंट के न बैठने के कारण दोपहर 12.30 बजे तक ही पंजीयन हुआ। जबकि सामान्य दिनों में दोपहर 3 बजे तक पंजीयन व शाम पांच बजे तक ओपीडी संचालित होती है। सुबह नौ बजे से खुले पंजीयन पर्ची काउंटर पर दोपहर होते-होते सन्नाटा छा गया। चेस्ट ओपीडी में 122, आंकोलॉजी में 55, जनरल सर्जरी में 200 व मेडिसिन में 140 मरीजों ने दोपहर तक पंजीयन कराया। वहीं अन्य मरीजों को वापस भेज दिया गया। सीनियर चिकित्सकों को दिखाने में असफल मरीजों ने या तो प्राइवेट अस्पतालों का रुख किया या फिर अपने घरों को लौट गए। बीएचयू इमरजेंसी, आइसीयू, लेबर रूम आदि की सेवाएं बहाल रहीं, जिस कारण इमरजेंसी के मरीजों को यहां भर्ती किया गया। जानकारी के अनुसार रेजिडेंट सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कराने के लिए मंगलवार तक के लिए हड़ताल पर है। वहीं अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मांग पर अभी तक मौखिक आश्वासन ही मिले हैं। अभी और खिंचेगी रेजिडेंट की हड़ताल - बीएचयू अस्पताल के रेजिडेंट वैसे तो दो दिवसीय हड़ताल पर हैं, लेकिन उनकी मांगों पर ठोस निर्णय न होने की दशा में मियाद बढ़ सकती है। बीएचयू के साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विवि के रेजिडेंट भी हड़ताल पर हैं। रेजिडेंट्स के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से विवि को मेल प्राप्त हुआ है, जिसमें उचित कार्रवाई की बात तो की गई है, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। ऐसे में बनारस ही नहीं पूर्वाचल व अन्य प्रदेशों से आने वाले मरीजों की दुश्वारियां बढ़ा जाएंगी। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लगभग देश के सभी मेडिकल कालेजों में लागू हैं, बीएचयू व एएमयू को छोड़कर। करीब साढ़े तीन वर्ष से उठाए जा रहे मामला अब यूजीसी के पाले में है। एक वर्ष में तीन हड़ताल - 24 सितंबर 2018 को मारपीट की घटना के बाद बीएचयू के रेजिडेंट सुरक्षा का हवाला देते हुए करीब एक सप्ताह तक हड़ताल जारी रखा था। वहीं कोलकाता की घटना के विरोध में रेजिडेंट 14 व 17 जून 2019 को हड़ताल पर थे। अब सातवें वेतन आयोग की सिफारशें लागू कराने की मांग को लेकर उनका दो दिवसीय हड़ताल शुरू हुआ है।   विश्वविद्यालय नियमावली के अनुसार विवि परिसर में बिना अनुमति धरना, प्रदर्शन व हड़ताल अनुचित है। विवि में न तो छात्र एसोसिएशन है, न शिक्षक और न ही रेजिडेंट। ऐसे में छात्रों या रेजिडेंट के पास अपनी बात रखने का न तो उचित प्लेटफार्म ही नहीं है। एक वर्ष में भीतर तीन हड़ताल के बाद भी विवि प्रशासन का लचर रवैया मरीजों के हित में कतई नहीं कहा जा सकता।

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