फोर-डी के ये हैं डॉन, शादी में बिन बुलाए मेहमान, करते हैं रिश्तों का सत्यानाश
बलिया में अब नया ट्रेंड विवाह व मांगलिक समारोह में तेजी से देखा जा रहा है जिसे फोड डी कहते हैं। इसके चलते कई बार विवाह समारोह में हंगामा हो जाता है।
बलिया [कृष्णमुरारी पांडेय]। सनातन संस्कृति में कभी शहनाईयों की गूंज व लोक संगीत की धुन के बीच शादी-विवाह व तिलक जैसे कार्यक्रमों को निपटाया जाता था। लेकिन बदलते दौर में ये परम्पराएं भी काफी पीछे छूटती जा रही हैं। आज के समय में ऐसे आयोजन का तब तक कोई औचित्य नहीं जब तक उसमें फोर-डी की व्यवस्था न हो। आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है। तिलकोत्सव हो या फिर विवाहोत्सव या कोई अन्य मांगलिक कार्यक्रम ही क्यों न हो, हर जगह फोर-डी का धमाल देखने को मिल रहा है। खास कर युवा वर्ग के लिए फोर-डी आवश्यक आवश्यकता बन चुकी है। इसके प्रति युवाओं का बढ़ता रूझान चिंता का सबब बनता जा रहा है। जनाब! फोर-डी मतलब डीजे, ड्रिंक, डांस और ढिशुम..।
शादी विवाह में युवाओं में खास जगह बना चुके डीजे की मांग हर जगह हो रही है। दोस्तों के शौक को पूरा करना दूल्हे की प्राथमिकता सूची में शामिल है। धनाभाव का हवाला देकर भले ही अन्य आवश्यक चीजों की व्यवस्था न हो पाए लेकिन डीजे के लिए हजारों रुपये खर्च करने में कोई हिचक नहीं होती। बढि़या से बढि़या डीजे और लेडीज डांसर के लिए रुपये पानी की तरह बहा दिया ज रहा है। दूल्हे के दोस्तों को डीजे की धुन पर डांस करने से पहले शरीर में फुर्ती लाने के लिए अगले चरण में ड्रिंक की व्यवस्था की जाती है। इसमें वाइन या बीयर कुछ भी चलेगा। ¨ड्रक का शुरूर चढ़ते ही पांव स्वचालित यंत्र की तरह थिरकने लगते हैं। क्लासिकल संगीत से शुरू हुआ कार्यक्रम देखते ही देखते अश्लील भोजपुरी गीतों तक पहुंच जाता है। थ्री-डी के शुरूर का लुफ्त उठा रहे युवाओं के रंग में भंग तब पड़ता है जब गीत बजाने को लेकर तू तू-मैं मैं होने लगती है। झिक-झिक से प्रारम्भ हुई बात बढ़ते-बढ़ते ढिशुम-ढिशुम तक आ जाती है। इस तरह चौथा डी अपना रंग दिखाना शुरू कर देता है। कहीं-कही हालात इतना बदतर हो जाता है कि फोर-डी के चक्कर में पड़ कर परिवार के सदस्यों को भी अस्पताल और थाने का चक्कर लगाना पड़ता है। समाज में हावी होते फोर-डी के प्रभाव से बुद्धिजीवी वर्ग काफी चिंतित है। लेकिन पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण में बेअंदाज युवा पीढ़ी के आगे मुंह बंद करना उनकी लाचारी बन गई है।
इस पर रोक लगाएं अभिभावक : विवाहोत्सव जैसे मांगलिक कार्यक्रमों में तेजी से पांव पसार रहे डीजे, ड्रिंक, डांस और ढिशुम पर अपना विचार व्यक्त करते हुए अभिभावक संतोष कुमार द्विवेदी ने कहा कि दो लोगों के बीच नफरत फैलाने में डीजे, डान्स और ड्रिंक की महत्वपूर्ण भूमिका है। कहा कि युवाओं में डीजे, ड्रिंक और डांस बढ़ता शौक मारपीट भी करा रहा है। इन युवाओं के आगे बड़े-बुजुर्ग भी नतमस्तक हैं। शिक्षक राजबहादुर सिंह अंशू ने कहा कि मांगलिक उत्सवों इस तरह की नवीन परम्पराओं की नींव पड़ना ठीक नहीं है। डीजे तक तो ठीक है जिस तरह से ड्रिंक को बढ़ावा दिया जा रहा है वह ठीक नहीं है। इस पर रोक लगाने के लिए अभिभावकों को आगे आना होगा। संध्या सिंह ने कहा कि अपने बच्चों को सही रास्ता दिखाने का काम माता-पिता का है। सही दिशानिर्देशन के अभाव में बच्चे गलत मार्ग चयन कर ले रहे हैं। इससे परिवार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।