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कोहरे के कहर ने बदली दी जिंदगी की रेलगाड़ी, नवंबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच सड़क हादसे में 29 की मौत

15 दिसंबर की भोर में एक हाथ में टार्च और एक हाथ में रेडियो लेकर 55 वर्षीय नंदलाल गोंड मीरापुर-बसही स्थित घर से पैदल ही कुछ दूर स्थित चाय-पान की दुकान खोलने के लिए निकले।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 10:42 AM (IST)
कोहरे के कहर ने बदली दी जिंदगी की रेलगाड़ी, नवंबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच सड़क हादसे में 29 की मौत
कोहरे के कहर ने बदली दी जिंदगी की रेलगाड़ी, नवंबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच सड़क हादसे में 29 की मौत

वाराणसी, जेएनएन। 15 दिसंबर की भोर में एक हाथ में टार्च और एक हाथ में रेडियो लेकर 55 वर्षीय नंदलाल गोंड मीरापुर-बसही स्थित घर से पैदल ही कुछ दूर स्थित चाय-पान की दुकान खोलने के लिए निकले। धुंध छाया था। इसी बीच किसी वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। मौके पर ही उनकी मौत हो गई। कोहरा नंदलाल के लिए काल बनकर आया। कोहरे के कहर ने पूरे परिवार की कमर तोड़ दी है। कर्ज में डूबी पत्नी आज पति की जिम्मेदारी तो बखूबी उठा रही हैं लेकिन सरकार से शिकायत है कि प्राकृतिक आपदा में उनके पति की जान गई लेकिन किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली।

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छूट गई बेटी की पढ़ाई, सूदखोर लगा रहे घर के चक्कर

नंदलाल की तीन बेटियां और एक बेटा है। कोहरे के चलते जान गंवाने से पहले नंदलाल दो बेटियों के हाथ पीले कर चुके थे और बहू भी घर लाए। छोटी बेटी काजल की शादी का ख्वाब अधूरा रह गया। आर्थिक तंगी ने ऐसा घेरा कि बेटी की पढ़ाई छूट गई। तीन बहनों में दूसरे नंबर की बेटी ज्योति की शादी के लिए नंदलाल ने मकान गिरवी रख चार लाख रुपये का लोन लिया था। जरूरत पड़ी तो दो लाख रुपये साहूकार से सूद पर लिया।

नंदलाल की दुकान को आज उनकी पत्नी सुशीला संभाल रही हैं। बेटा बबलू भी चाय-पान की दुकान के साथ अंडे की दुकान चलाता है।

बच्चों की भूख शांत करने को लड़ रही मां खेतों में बहा रही पसीना

कोहरे ने जंसा के एक परिवार के साथ ऐसा क्रूर मजाक किया कि आज घर का हर सदस्य जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है। बच्चों की पढ़ाई बंद हो चुकी है। बच्चों का पेट भरने के लिए मां कड़ी धूप में भी दिन-रात पसीना बहाती है। खेतों में काम नहीं मिलता तो इधर-उधर मजदूरी करती हैं। एक दिन मजदूरी नहीं मिलती तो बच्चों को भूखा सोना पड़ता है।

जंसा निवासी 40 वर्षीय दूधनाथ मौर्या स्थानीय बाजार में स्टूडियो चलाते थे। 10 जनवरी 2018 को स्टूडियो के काम से वह आटो से वाराणसी शहर के लिए निकले थे। जंसा पेट्रोल के पास धुंध के चलते चालक टेंपो से अपना नियंत्रण खो बैठा। टेंपा सड़क किनारे पलट गया और उसमें दबकर दूधनाथ की मौके पर ही मौत हो गई। दूधनाथ की मौत के बाद परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।  एक पुत्री खुशबू 12 वर्ष और एक पुत्र शिवम मौर्या 10 वर्ष के सिर से पिता का साया उठ गया। दूधनाथ की पत्नी सावित्री ने बच्चों को स्कूल भेजने की कोशिश की लेकिन आर्थिक तंगी आड़े आ गई। परिवार से जुड़े लोगों के खेतों में काम करके सावित्री किसी तरह बच्चों का पेट भर रहीं। सावित्री को इस बात का दुख है कि उसे किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिली। उसे तो बस अपने बच्चों की चिंता है। वह रोज भगवान से मनाती है कि जैसे उससे उसका पति छीन लिया, उसके बच्चों से मां न छीनना जब तक उसके बच्चे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो जाते।

बरतें संयत, किसी की जिंदगी का सवाल है

कोहर के दौरान लापरवाही से वाहन चलाने, सड़क किनारे गाड़ी खड़ा करने वालों को एक बार कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंदकर सोचना चाहिए कि उनकी जरा सी लापरवाही के चलते कैसे एक पूरा परिवार बिखर जाता है। घर से लोग फुटपाथ पर जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो जाते। कान्वेंट स्कूल में जाने वाले बच्चे सरकारी स्कूल में भी पढऩे नहीं जा पाते। वाहन चालक गाड़ी चलाते समय कुछ पल के लिए अपने परिवार को याद करने के साथ ही उन परिवारों को भी याद कर ले एक बार जिनके घर का चिराग कोहरे के चलते बुझ गया, हादसे में यकीनन कमी आएगी।

 बरतें ये सावधानियां

- दृश्यता कम होने पर वाहनों की स्पीड रखें कम।

- वाहनों के बीच दूरी बनाए रखें।

- चारों इंडीकेटर को ब्लिंक मोड में आन कर लें।

- सड़क किनारे किसी हाल में गाड़ी नहीं खड़ी करें।

- पेट्रोल पंप या ढाबा पर ही गाड़ी खड़ी करें।

- हेडलाइट, बैक लाइट, डीपर की कर लें जांच।

- फॉग लैंप का उपयोग करें।

- गाड़ी के आगे और पीछे रेडियम स्टीकर लगाएं।

- हार्न को ठीक रखें, शीशे को लगातार वाइपर से साफ करें।

- मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करें।

- ओवरटेक बिलकुल नहीं करें।

- कोहरे के दौरान काली गाड़ी का कम उपयोग करें।

- जरूरी न हो तो कोहरे के दौरान ड्राइविंग नहीं करें।


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