Coronavirus के कहर से वाराणसी में फूलों की खेती करने वाले किसानों की टूटी कमर
विश्वव्यापी कोरोना वायरस के संक्रमण के कहर से वाराणसी में फूलों की खेती करने वाले किसानों की कमर टूट चुकी है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान फूल की खेती करने वाले किसानों उठाना पड़ा है। मंदिर व गुरुद्वारों पर आमजन के रोक से यह नुकसान अनवरत जारी है। इससे उबरने के लएि सरकारी तौर पर इन किसानों को फूटी कौड़ी भी नही मिली है। विकास खंंड के धन्नीपुर, कोची, फूलपुर, रमना, नेवादा, कमौली, गौरा कला, सीवो, शंकरपुर, दीनापुर, रघुनाथपुर, सलारपुर, रुस्तमपुर, चिरईगांव, संदहा, बराई, उमरहां, नवापुरा, सरैयान,खालिसपुर, नईकोट,पचराव आदि गावों में फूल की खेती किसान व्यवसायिक स्तर पर करते हैं।
फूल की खेती पर किसानों के साथ साथ पास पड़ोस के गरीब महिलाओं को भी फूल त़ोडऩे और माला गूथने का स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होता है। गौरा कला में देेेसी गुलाब की खेती करने वाले किसान आद्या प्रसाद मौर्य का कहना है कि तीन बीघे गुलाब के खेत के सारे फूल बेकार हो गये। लागत मेहनत सब बरबाद हो गया है। सरकार की तरफ से राहत भी कुछ नहीं मिला। कमौली के किसान सुकुनू राजभर दुकानों पर फूल के मालाओं की आपूर्ति कर जीवन यापन करते थे। मगर अब सब बर्बाद हो गया है। धन्नीपुर के किसान नेहरु मौर्य ने बताया कि गुलाब की खेती जहां विगत वर्ष प्रति बीघे एक लाख से अधिक आय हुयी थी, लेकिन पर इस बार तो लागत भी नहीं निकल पायी है। कमोवेश यही स्थिति पूरे जनपद के फूल कृषकों की है।
वाराणसी जनपद मे गुलाब, गेंदा कुंद, बेला, टेंगरी, मदार आदि फूलों की व्यवसायिक खेती होती है। जिला उद्यानन अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता का कहना है कि कोरोना जैसी वैश्विक महमारी में हर वर्ग परेशान है, इससे सभी को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। यह जरूर है कि फूल की खेती करने वालों की स्थिति अन्य खेतिहरों से भयावह है। उनको राहत देने के लिए सरकार की तरफ से जो भी दिशा निर्देश आयेगा, उसका अनुपालन किया जायेगा।