पांच साल का लेखा-जोखा कैग के रडार पर, विभिन्न मदों में मिले अनुदान व खर्च जांच के जद में
शासन के निर्देश पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित 30 अनुदानित कालेजों की जांच शुरू भी कर दी है।
वाराणसी, जेएनएन। उच्च शिक्षण संस्थानों की अब वित्तीय के संग परफॉर्मेंस आडिट भी हो रही है। शासन के निर्देश पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सहित 30 अनुदानित कालेजों की जांच शुरू भी कर दी है। कैग ने विद्यापीठ से पांच साल का लेखा-जोखा तलब किया है। कैग के रडार पर वर्ष 2014 से 2019 के बीच विभिन्न मदों में प्राप्त अनुदान, शुल्क व खर्च का विवरण है।
जांच कर रही कैग की टीम होली के अवकाश के बाद विद्यापीठ एक बार फिर आने वाली है। जांच कर रही सात सदस्यीय टीम ने विवि से वित्तीय संबंधी कई रिकार्ड विश्वविद्यालय से मांगा है। इसमें स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के शुल्कों का वितरण व संविदा पर अध्यापकों के वेतन पर होने वाले खर्च भी तलब किया है। वित्तीय मामलों के अलावा कैग की टीम नैक के तर्ज पर विश्वविद्यालय से एकेडमी रिकार्ड की भी जांच कर रही है।
नैक मूल्यांकन के दायरे से बाहर रखने पर कैग ने सवाल भी खड़ा किया
परफॉर्मेंस आडिट के तहत शिक्षकों की चयन प्रक्रिया, रिक्त पदों की संख्या, छात्रों की उपस्थिति, प्लेसमेंट की स्थिति, छात्रावास, लाइब्रेरी की स्थिति, आइटी का प्रयोग, कार्य परिषद व विद्या परिषद के निर्णयों, क्रियान्वयन सहित अन्य बिंदुओं पर कैग की निगाह है। यही नहीं स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों, गंगापुर व एनटीपीसी (सोनभद्र) परिसर को नैक मूल्यांकन के दायरे से बाहर रखने पर कैग ने सवाल भी खड़ा किया है। कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आइक्यूएसी) के समन्वयक प्रो. कृपा शंकर जायसवाल ने परफॉर्मेंस आडिट में कैग का सहयोग करने का निर्देश दिया है। हालांकि आडिट लंबा चलने की संभावना है।
अग्रसेन व जगतपुर पीजी कालेज की भी आडिट
कैग की टीम अग्रसेन पीजी कालेज व जगतपुर पीजी कालेज की भी आडिट कर रही है। हालांकि इन दोनों कालेजों में कैग की दूसरी टीम आडिट कर रही है। अग्रसेन पीजी कालेज में एक से सात दिसंबर 2019 तक कैग की टीम आई थी। अब अप्रैल में दोबारा टीम के आने की संभावना जताई जा रही है।