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ज्योतिष : खगोलीय दृष्टि से नया साल 2019 होगा खास, पांच ग्रहण का बन रहा योग

खगोलीय दृष्टि से नया साल 2019 खास होगा, इस वर्ष पांच ग्रहण लगेंगे, इनमें तीन सूर्य ग्रहण व दो चंद्र ग्रहण होंगे, भारत में सिर्फ दो ही ग्रहण दृश्यमान होंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 07:58 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 09:00 AM (IST)
ज्योतिष : खगोलीय दृष्टि से नया साल 2019 होगा खास, पांच ग्रहण का बन रहा योग
ज्योतिष : खगोलीय दृष्टि से नया साल 2019 होगा खास, पांच ग्रहण का बन रहा योग

वाराणसी [प्रमोद यादव] खगोलीय दृष्टि से नया साल 2019  खास होगा। इस वर्ष विश्व पटल पर पांच ग्रहण लगेंगे। इनमें तीन सूर्य ग्रहण व दो चंद्र ग्रहण होंगे। हालांकि भारत में सिर्फ दो ही ग्रहण दृश्यमान होंगे। इसमें 16-17 जुलाई की रात खंड चंद्र ग्रहण तो दूसरा कंकड़ा कृति (कंकड़ के आकार में) खंड सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर की दोपहर में दिखेगा। चालू वर्ष 2018 में भी वैश्विक स्तर पर पांच ग्रहण लगे थे। इनमें शामिल दो चंद्र और तीन सूर्य ग्रहण में भारत में दो चंद्र ग्रहण ही दिखे थे। 

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इस बार वैश्विक स्तर पर प्रथम खंड सूर्य ग्रहण पांच-छह जनवरी को लगेगा। दूसरा 21 जनवरी को खग्रास चंद्र ग्रहण, तीसरा दो जुलाई को खग्रास सूर्य ग्रहण, चौथा 16 जुलाई की रात खग्रास चंद्र ग्रहण व पांचवां 26 दिसंबर को कंकड़ा कृति सूर्य ग्रहण के रूप में होगा। वर्ष 2019 का ग्रहण खास इस लिहाज से भी है कि दो पखवारे ऐसे होंगे जिनमें दोहरे ग्रहण लगेंगे। इसमें पांच -छह जनवरी व 21 जनवरी और दो जुलाई व 16-17 जुलाई को ग्रहण लग रहे हैं। 

 

भारत में दो ग्रहण : भारत में दृश्यमान दो ग्रहण में प्रथम आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा तद्नुसार मंगलवार 16-17 जुलाई को खंड चंद्र ग्रहण रूप में दृश्य होगा। भारतीय मानक समयानुसार इसका प्रारंभ 17 जुलाई की रात 1.31 पर और समाप्ति भोर में 4.30 बजे होगी। ग्रहण का संपूर्ण काल 2.58 घंटा होगा। भारत के अतिरिक्त यह यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, अटलांटिक, ङ्क्षहद महासागर, अंटार्कटिका दक्षिण ध्रुव पर देखा जा सकेगा। 

दूसरा ग्रहण पौष कृष्ण अमावस्या यानी 26 दिसंबर को कंकड़ा कृति सूर्य ग्रहण होगा। भारत के अधिकांश भाग में यह खंड सूर्य ग्रहण के रूप में दृश्यमान होगा। इसका प्रारंभ भारतीय मानक समयानुसार सुबह आठ बजे व समाप्ति दोपहर 1.36 बजे होगी। यह संपूर्ण भारत, मंगोलिया, चीन, रूस, जापान, आस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र, तुर्की, पूर्वी अफ्रीका, पूर्वी अरब, ङ्क्षहद महासागर, इंडोनेशिया, नेपाल, जापान, कोरिया आदि में दिखेगा। दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों के साथ ही अरब, श्रीलंका, मलेशिया, फिलीपिंस में यह कंकड़ाकृति रूप में देखा जा सकेगा। 

 

बोले ज्योतिषी : ग्रहण खगोलीय घटना होती है। पृथ्वीवासियों पर इसका कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य देखने को मिलता है। इसमें आंधी- तूफान, भूकंप समेत अन्य प्राकृतिक आपदाएं व युद्ध जैसे हालात बनते हैं। जल्दी-जल्दी ग्रहण अशुभ माना जाता है। - पं. ऋषि द्विवेदी, ख्यात ज्योतिषाचार्य।


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