Move to Jagran APP

चितईपुर आंगनबाड़ी केंद्र बना पहला मॉडल ‘पालना गृह’, यशोदा की तरह बच्चों की करेंगी देखभाल

राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत काशी विद्यापीठ ब्लॉक के आंगनबाड़ी केंद्र चितईपुर को जिले का पहला मॉडल ‘पालना गृह’ बनाया गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 02:42 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 03:55 PM (IST)
चितईपुर आंगनबाड़ी केंद्र बना पहला मॉडल ‘पालना गृह’, यशोदा की तरह बच्चों की करेंगी देखभाल
चितईपुर आंगनबाड़ी केंद्र बना पहला मॉडल ‘पालना गृह’, यशोदा की तरह बच्चों की करेंगी देखभाल

वाराणसी, जेएनएन। राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत काशी विद्यापीठ ब्लॉक के आंगनबाड़ी केंद्र चितईपुर को जिले का पहला मॉडल ‘पालना गृह’ बनाया गया है। इसकी शुरुआत काशी विद्यापीठ ब्लॉक की सीडीपीओ स्वाति पाठक ने सोमवार को की। आंगनबाड़ी केंद्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को ‘यशोदा मां’ के रूप में नवजात शिशुओं और 10 माह तक के बच्चों की देखभाल के लिए चुना गया है। इस पहल से अन्य आंगनबाड़ी केन्द्रों को भी प्रेरणा मिलेगी और बच्चों के बेहतर देखभाल के लिए एक और ठोस कदम उठाएंगी। उल्लेखनीय है कि ‘पालना गृह’ में यह सुविधा आंगनबाड़ी केंद्र के निर्धारित समय सुबह 10 बजे से 2 बजे तक निःशुल्क मिलेगी।

loksabha election banner

सीडीपीओ स्वाति पाठक ने बताया कि कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री ने भी इस बात का जिक्र किया था कि आंगनबाड़ी केन्द्रों को ‘पालना गृह’ का भी रूप दिया जाए जिससे माताएं अपने बच्चों को एक से दो घंटे के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में सुरक्षित छोड़कर अपने घर के कार्यों के लिए समय निकाल सकें। इसके साथ ही टीकाकरण दिवस और वीएचएनडी सत्र के समय अपने बच्चों का मन बहला सकें। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ‘यशोदा मां’ के धेय से बच्चों की देखभाल कर सकें। लेकिन ऐसे में छः माह तक के बच्चों को सिर्फ स्तनपान कराना जरूरी है। इसके लिए मां दूध निकालकर एक बोतल में आंगनबाड़ी को दे दें ताकि वह समय पर शिशुओं को दूध पिला सकें। 

बताया कि आज केंद्र को जन्म से लेकर छः माह तक के बच्चों के लिए एक ‘पालना’ दिया गया है जिसमें बच्चों की आसानी से देखभाल की जा सके। इसके साथ ही छः से 10 माह तक के बच्चों के लिए एक वॉकर दिया गया है ताकि बच्चा जल्द से जल्द चलना सीख सके और साथ ही खेलने में भी मगन रहे। इस दौरान एक माह के नवजात शिशु की मां निशा ने बताया कि यह बहुत अच्छी शुरुआत है इससे बच्चों को एक खुला और अच्छा वातावरण मिलेगा जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास में मददगार साबित होगा। आठ माह के बच्चे की माह वंदना का कहना है कि इससे हम थोड़ी देर के लिए कहीं आ-जा सकती हैं। यहां मिलने वाली सुविधा जैसे वॉकर, पालना, खिलौने आदि से बच्चों का मन लगा रहेगा। इस अवसर पर प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका दीपा कुशवाहा, एएनएम सोनी सिंह, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैल सिंह, उर्मिला पटेल, संजू देवी एवं लाभार्थी महिलाएं मौजूद थीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.