प्रदेश की पहली कंगारू फादर यूनिट आजमगढ़ में, समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों को पिता सीने से चिपकाकर देंगे संजीवनी
प्रदेश सरकार ने समय से पूर्व जन्म लेने वाले शिशुओं को संजीवनी देने वास्ते जिले को कंगारू फादर यूनिट (केएफसी) की सौगात दी है।
आजमगढ़ [शैलेश यादव]। प्रदेश सरकार ने समय से पूर्व जन्म लेने वाले शिशुओं को संजीवनी देने वास्ते जिले को कंगारू फादर यूनिट (केएफसी) की सौगात दी है। जिला महिला चिकित्सालय में लगने जा रही यह प्रदेश की पहली यूनिट होगी। इसमें पिता जिगर के टुकड़े को सीने से सटाकर उन्हें विकसित करने में योगदान कर सकेंगे। इस योजना को मूर्तरूप देने की तैयारी शुरू हो गई है। तीन माह में यह काम करना शुरू कर देगी
पांच बेड से होगी शुरुआत
कंगारू फादर यूनिट की शुरुआत जिले में पांच बेड की यूनिट से होगी। मसलन, यूनिट में एक साथ पांच मासूमों का इलाज किया जा सकेगा। पिता के 20 से 24 घंटे यूनिट में ही बीतेंगे। केएफसी में मशीनें 27 से 28 डिग्री सेल्सियस का तापमान मेंटेन कर मददगार साबित होती हैं।
समय पूर्व जन्मे बच्चों का इलाज
कंगारू विधि से ज्यादातर समय पूर्व जन्में बच्चों का ही इलाज होता है। केएफसी में ऐसे बच्चों का विकास तेजी से होता है। सामान्यत नवजात का वजन ढाई किलो होना चाहिए। इससे कम वजन वालों को बचाने के लिए अभी तक केएमसी (कंगारू मदर यूनिट) होती थी। केएफसी में 600 ग्राम तक के बच्चों को भी रिकवर किया जा सकता है।
पिता की डिमांड पर मिली मंजूरी
बच्चे को जन्म देने वाली बहुतायत मां की स्थिति बच्चे की सेवा योग्य नहीं रहती है। कंगारू मदर यूनिट में मां की जगह पर मौसी, चाची या अन्य रिश्तेदार महिलाओं को रखा जाता था। बहुतायत लोगों की मांग थी कि पिता को यह अधिकार मिले क्योंकि आज भागदौड़ की वजह से दूसरी महिला बच्चे की देखभाल को नहीं रूकती हैं। अस्पताल प्रशासन ने डिमांड की तो केएफसी यूनिट लगाने को मंजूरी संग साथ केएमसी यूनिट की क्षमता दोगुनी कर दी गई। कंगारू मदर केयर के जरिये सौ से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सकी है। नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज शर्मा के अनुसार केएफसी यूनिट का प्रचलन दक्षिण भारत में हैं। यह प्री मेच्योर बेबी के इलाज में कारगर होता है। के एमसी की सफलता के बाद डिमांड पर हमें कंगारू फादर केयर यूनिट लगाने की अनुमति मिली है।