महाश्मशान Manikarnika घाट की आग भी Lockdown, सामान्य दिनों की तुलना में सज रहीं कम चिताएं
लॉकडाउन के कारण ठंडी पडऩे लगी मोक्ष नगरी काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका की आग।
वाराणसी [विकास बागी]। ठंडी पडऩे लगी मोक्ष नगरी काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका की आग। मान्यता है कि काशी में चिता की आग कभी ठंडी नहीं होती। गंगा मइया का रौद्र रूप हो या फिर सूरज की तपिश, महाश्मशान में चिता की आग 24 घंटे धधकती रहती थी। महाश्मशान में कोरोना के कहर के चलते अब 'मोक्ष की अग्नि' भी ठंडी पडऩे लगी है। ऐसी मान्यता है कि जब कोई अपने परिजन का शव लेकर महाश्मशान आता है तो भगवान शिवशंकर मृतक के कान में तारक मंत्र फूंकते हैं और मरने वाले को सीधे मोक्ष मिलता है। मोक्ष की इस कामना पर लॉकडाउन का पहरा बैठ गया है। मैदागिन से चौक होते हुए जो रास्ते पूरे दिन राम नाम सत्य से गूंजते थे आज वहां सन्नाटा पसरा है।
चिता की आग की तपिश नहीं, ठंडी राख है यहां
मोक्ष की कामना में पूर्वांचल समेत बिहार के लोग काशी में शवदाह के लिए आते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते दाह संस्कार के लिए नहीं आ पा रहे। लॉकडाउन से पहले जहां प्रतिदिन सुबह से लेकर रात तक 150 से 200 लाशें जलती थीं, आज दिनभर में महज पांच से छह चिताएं सज रहीं। रात में दाह संस्कार लगभग बंद है।
पांच दिन बाद दाह संस्कार का खड़ा हो जाएगा संकट
लॉकडाउन के चलते महाश्मशान पर चिता की लकड़ी का भी स्टाक समाप्त होने को है। चिता की लकड़ी का कारोबार करने वाले दिनेश यादव ने बताया कि पांच से छह दिन का लकड़ी का स्टाक है। लॉकडाउन बढ़ता है तो अगले सात दिन तक आते-आते चिता सजाने के लिए लकड़ी भी नहीं बचेगी। अभी तक यहां मध्यप्रदेश से लकड़ी आती थी लेकिन परिवहन बंद होने से लकडिय़ां नहीं आ रही हैं।
परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट
महाश्मशान पर अंतिम संस्कार के कार्य से लगभग 45-50 परिवार जुड़े हैं। लकड़ी समेत अन्य सामान का स्टाक धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। नौकाओं का संचालन भी नहीं हो रहा जिससे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो रहा है।
हरिश्चंद्र घाट पर भी सियापा
बनारस में एक छोर पर महाश्मशान मणिकर्णिका है तो दूसरे छोर पर हरिश्चंद्र घाट है। मान्यता है कि लाश लेकर चलते समय घाट पार नहीं किया जाता। हरिश्चंद्र घाट के दाहिने तरफ के लोग मणिकर्णिका नहीं आते। लॉकडाउन में हरिश्चंद्र घाट पर भी दाह संस्कार करने वालों की संख्या में भारी गिरावट आई है। भदोही, मीरजापुर से लेकर आसपास के लोग यहां दाह संस्कार के लिए आते हैं।
मरने वालों में बुजुर्ग अधिक
दाह संस्कार से जुड़े लोगों ने एक चौंकाने वाला तथ्य बताया है। चिता की लकड़ी उपलब्ध कराने वाले एक कारोबारी के अनुसार घाट पर इन दिनों आने वाली अधिकतर लाशें बुजुर्गों की हैं। कोरोना वायरस के चलते बुजुर्गों की मौत अधिक हो रही है, ऐसे में दाह संस्कार के दौरान मन में भय बना रहता है लेकिन अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रहे। स्वास्थ्य विभाग के साथ ही पुलिस-प्रशासन को भी इस तरफ ध्यान देना चाहिए।