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वाराणसी में खोजें टीबी मरीज और पाएं 500 रुपये प्रोत्साहन राशि, क्षय रोग उन्मूलन में उठाया गया कदम

क्षय रोग के उन्मूलन को लेकर प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। समुदाय की भागीदारी को और बढ़ाते हुए नई व्यवस्था की गई है कि नया टीबी रोगी खोजने वालों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि खाते में दी जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 06:47 PM (IST)
नया टीबी रोगी खोजने वालों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि उनके खाते में दी जाएगी।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग के उन्मूलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में समुदाय की भागीदारी को और बढ़ाते हुए नई व्यवस्था की गई है कि नया टीबी रोगी खोजने वालों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि उनके खाते में दी जाएगी। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राहुल सिंह ने गुरुवार को दी।

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बताया कि अगले माह जुलाई में प्रस्तावित विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह एवं दस्तक अभियान के दौरान जो आशा कार्यकर्ता नए टीबी रोगी खोजेंगी, सूचनादाता के तौर पर उनके खातों में 500 रुपये भेज दिए जाएंगे। यदि कोई गैर सरकारी व्यक्ति भी टीबी का नया रोगी खोजता है तो उसे सूचनादाता के तौर पर यही धनराशि देने का प्रावधान है। एक जुलाई से 31 जुलाई तक के विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान एवं 12 जुलाई से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान के दौरान क्षय रोगियों को खोजा जाएगा। आशा कार्यकर्ता लक्षण वाले संभावित क्षय रोगियों को ढूंढेंगी। ऐसे रोगियों की लिस्ट तैयार कर वह एएनएम को देंगी और ब्लॉक मुख्यालय को भी उपलब्ध कराएंगी। ऐसे संभावित रोगियों की टीबी जांच कराई जाएगी। जांच में अगर टीबी की पुष्टि ऐसे रोगी में होती है जिसको पहली बार यह बीमारी हुई है और जो पहले से निक्षय पोर्टल पर दर्ज नहीं है तो रोगी को तुरंत पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा। ऐसे रोगी को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए खाते में दिये जाएंगे। इसके अलावा जिसकी सूचना के कारण रोगी की पहचान हुई है उसे भी 500 रुपये खाते में दिये जाएंगे।

कोविड जांच संग टीबी की जांच

इस विशेष अभियान के दौरान यह दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं कि सांस के गंभीर रोगी (एसएआरआई) और निमोनिया के साथ खांसी के मरीज (आईएलआई) मिलते हैं तो उनकी लिस्ट तैयार करके कोविड जांच के साथ-साथ टीबी की जांच जरूर कराई जाए। जिला क्षय रोग अधिकारी ने जनपदवासियों से अपील की है कि अभियान के दौरान जब भी फ्रंटलाइन वर्कर उनके घर टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी मांगें तो सही-सही जानकारी दें। बीमारी को छिपाएं नहीं। टीबी रोगियों के इलाज में गोपनीयता बरती जाती है। लक्षणों के बावजूद अगर कोई बीमारी को छिपा रहा है तो इससे उसके परिवारीजनों में भी टीबी होने का खतरा रहता है। साथ ही बीमारी छिपाने वालों का समय से इलाज शुरू नहीं हो पाता और टीबी खतरनाक रूप अख्तियार करने लगती है, जो कई बार जानलेवा साबित होती है।

इन लक्षणों के दिखने पर कराएं जांच

डा. राहुल ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे में अगर खांसी का मरीज आता है तो उसके सभी लक्षणों की गहनता से पड़ताल होनी चाहिए और संभावित टीबी मरीज दिखे तो टीबी जांच अवश्य कराई जानी चाहिए।

इन परिस्थितियों में भी टीबी जांच है जरूरी

डा. राहुल के मुताबिक यदि कोई कोविड मरीज ठीक हो जाता है और उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है, फिर भी खांसी नहीं रुक रही है तो उसकी टीबी जांच अवश्य कराई जानी चाहिए। कोविड के लक्षण वाले व्यक्ति की जांच कराने पर अगर रिपोर्ट निगेटिव है तब भी टीबी जांच अवश्य करवा लें। टीबी की ट्रूनाट विधि से जांच की सुविधा बीएचयू सहित ग्रामीण क्षेत्र में बड़ागांव पीएचसी, चोलापुर सीएचसी व चिरईगांव पीएचसी में निश्शुल्क उपलब्ध है।


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