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बोले गोविंदा - 'मां बनारस की तो मैं भी बनारसी, राजनीति छोड़ चुका हूं लेकिन राजनीति मुझे नहीं छोड़ती'

फिल्म अभिनेता गोविंदा ने कहा कि मेरी मां विमला देवी बनारस में पैदा हुईं थीं ऐसे में मैं भी पूरा बनारसी हूं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 11:29 AM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 11:52 AM (IST)
बोले गोविंदा - 'मां बनारस की तो मैं भी बनारसी, राजनीति छोड़ चुका हूं लेकिन राजनीति मुझे नहीं छोड़ती'

वाराणसी, जेएनएन। फिल्म अभिनेता गोविंदा ने कहा कि मेरी मां विमला देवी बनारस में पैदा हुईं थीं, ऐसे में मैं भी पूरा बनारसी हूं। बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की मेरे पर असीम कृपा है इसलिए तो नाम व इज्जत कमाया। कहा कि अब मैं राजनीति से कोसों दूर हूं। मैं राजनीति को छोड़ चुका हूं लेकिन राजनीति मुझे नहीं छोड़ रही है। मुझे ऐसा लगा कि मैं इस विषय का ज्ञाता नहीं हूं तो थोड़ा दूर हो जाऊं। 15 साल हो गए मैं राजनीति से बाहर आ गया हूं। कहा कि राजनीति से मेरा खटास नहीं है।   

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वह क्षेत्र के अकोढ़ा गांव में आयोजित दंगल प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर फडणवीस को बधाई दी। केंद्र सरकार के  बारे में कहा कि देश में सब ठीक-ठाक चल रहा है और पक्ष-विपक्ष नहीं देखना चाहिए। विपक्ष को भी पक्ष की तारीफ करनी चाहिए। 

बाबा विश्वनाथ व संकट मोचन का किया दर्शन 

बड़ागांव में कुश्ती दंगल के बाद गोविंदा ने संकटमोचन व काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन किया। हालांकि गंगा आरती देखने की भी योजना थी मगर देर होने से वह नहीं जा पाए। गोविंदा अपनी पत्नी के साथ शनिवार को नदेसर स्थित होटल में रुके और रविवार को मुंबई लौट जाएंगे। 

बोले नरसिंह - 'मिट्टी की कुश्ती का आनंद ही अलग'

मिट्टी की कुश्ती और गद्दे की कुश्ती में अंतर है। दोनों एकदम अलग है क्योंकि गद्दे की कुश्ती स्पीड और टाइम की होती है लेकिन मिट्टी की कुश्ती का अलग ही आनंद है। गांव के लोग उसे ही पसंद करते हैं इसलिए हर अखाड़ों में मिट्टी और मैट दोनों रहता है। मैंने भी पहले मिट्टी के अखाड़े में प्रैक्टिस की है। अंतरराष्ट्रीय पहलवान नरसिंह यादव ने कहा कि प्रदेश में पहलवानी कम होती जा रही है। पहलवान लुप्त होते जा रहे हैं। इसी तरह हर गांव में, हर क्षेत्र में आयोजन होता रहे तभी कुश्ती को जीवित रखते हुए पहलवान बनाए जा सकते हैं। जितने पहलवान खेलने आए हैं इससे यहां के लोगों में कुश्ती के प्रति एक उत्साह जगेगा। नरसिंह ने नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि वह खेलों में आएं, कुश्ती में भाग लें क्योंकि कुश्ती मिट्टी से जुड़ा हुआ अपना खेल है। इससे वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ भी रहेंगे। 


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