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टोल प्लाजा पर बिना सख्ती नहीं बढ़ेगा फास्टैग का प्रतिशत, अब तक 45 फीसद गाडिय़ों पर ही लगा फास्टैग

अब बिना सरकार की सख्ती के यह आगे नहीं बढ़ेगा। टोल प्लाजा पर जाम के दौरान दबाव बढ़ जाता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 12:36 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 05:42 PM (IST)
टोल प्लाजा पर बिना सख्ती नहीं बढ़ेगा फास्टैग का प्रतिशत, अब तक 45 फीसद गाडिय़ों पर ही लगा फास्टैग
टोल प्लाजा पर बिना सख्ती नहीं बढ़ेगा फास्टैग का प्रतिशत, अब तक 45 फीसद गाडिय़ों पर ही लगा फास्टैग

वाराणसी, जेएनएन। टोल प्लाजा पर सरकार ने एनएचएआइ और बैंक की मदद से फास्टैग को अनिवार्य करने के लिए अभियान चलाया लेकिन अभी तक 45 प्रतिशत गाडिय़ों में ही फास्टैग लग पाया है जबकि सरकार का लक्ष्य 90 फीसद का है। टोल प्लाजा हेड मनीष कुमार ने बताया कि अब बिना सरकार की सख्ती के यह आगे नहीं बढ़ेगा। टोल प्लाजा पर जाम के दौरान दबाव बढ़ जाता है। इसलिए किसी भी तरह की गाडिय़ों को निकालकर जाम समाप्त किया जाता है। सरकार ने टोल प्लाजा पर एक लेन कैश के लिए और बाकी सभी फास्टैग के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।

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फ्री में नहीं, 25 रुपये में मिल रहा फास्टैग चिप

सरकार की तरफ से फास्टैग चिप निश्शुल्क देने की बात की गई है लेकिन डाफी टोल प्लाजा पर और एनएचएआइ ऑफिस से सरकारी चिप 25 रुपये में मिल रहा है। यहां टोल प्लाजा के दोनों तरफ काउंटर बना है जिसमें एक तरफ आइसीआइसीआइ बैंक वाले पर ताला लटक रहा तो दूसरे एसबीआइ, पेटीएम, आइडीबीआइ पर मात्र 3 से 4 चिप ही बिकता है। बैंक चिप के एवज में 250 रुपये ले रहें जिसमें 150 रुपये बैलेंस है। सरकारी चिप में यूजर को एप डाउनलोड करना होगा, फिर रिचार्ज कराना होगा जबकि प्राइवेट में बैलेंस भी मिल रहा है और रिचार्ज आसानी से होता है। सबसे अच्छा चिप आइसीआइसीआइ बैंक का काम कर रहा है जबकि एसबीआइ और पेटीएम का नेटवर्क ठीक नही है। मनीष कुमार के अनुसार डाफी टोल प्लाजा पर फास्टैग की बिक्री 10 से 15 चिप की है। दैनिक जागरण ने जब फास्टैग काउंटर की पड़ताल की तो एक काउंटर पर ताला लटका दिखा जबकि प्रतिदिन 15 हजार गाडिय़ां इस टोल से गुजरती हैं। मनीष ने बताया कि अभी तक 40 से 50 गाडिय़ों में फास्टैग लग पाया है जिसका औसत 45 प्रतिशत है। सरकार का लक्ष्य इसे 90 प्रतिशत तक करना है।

पहले भी फेल हो चुका है कैशलेस सिस्टम

नोटबंदी के बाद सरकार ने कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए अभियान चलाया था। टोल प्लाजा पर भी स्वाइप मशीन, पेटीएम और डेबिट, क्रेडिट कार्ड द्वारा टोल भुगतान करने के लिए देशभर में करोड़ों खर्च हुआ लेकिन उसके बाद भी अभियान फेल हो गया। 2017 में ही फास्टैग की शुरुआत हुई लेकिन  कामयाबी नहीं मिल पाई।

जागरूकता की कमी से दिक्कत

फास्टैग को लेकर जागरूकता की कमी है। ट्रक चालक और गाड़ी वाले फास्टैग चिप के ऊपर जमी धूल को साफ नहीं करते और चिप को गलत साइड में लगा दे रहे हैं जिससे स्कैन नहीं हो पा रहा।

अभी जनता को झेलना पड़ेगा जाम

डाफी टोल प्लाजा के आस-पास की जर्जर सड़कों पर रोज जाम लगता है। 10 साल बाद भी अस्थाई टोल प्लाजा से काम चल रहा जो मात्र 8 लेन की है। यहां 16 लेन वाला टोल प्लाजा तैयार होना था लेकिन कार्यदायी संस्था की लापरवाही से नहीं बन पाया जबकि यहां एक दिन की वसूली 45 से 50 लाख तक हो गई है।


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