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सेहत की बातें : जल्दी सोना, जल्दी जगना और गुनगुना पानी से दुरुस्त रहती है पाचन शक्ति

आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम भारतीय चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि विशुद्ध जीवन शैली है जिसका प्रथम प्रयोजन (उद्देश्य) व्यक्ति के स्वास्थ्य की विभिन्न आहार- विहार (खेल कूद व्यायाम योगासन आदि) से रक्षा भरण पोषण एवं संवर्धन करना है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 01:23 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 01:23 PM (IST)
अस्वस्थ्य (बीमार) व्यक्ति का औषधि (दवाओं) द्वारा उपचार कर रोगमुक्त कर स्वस्थ बनाना है।

वाराणसी, जेएनएन। आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम भारतीय चिकित्सा पद्धति ही नहीं बल्कि विशुद्ध जीवन शैली है जिसका प्रथम प्रयोजन (उद्देश्य) व्यक्ति के स्वास्थ्य की विभिन्न आहार-विहार (खेल, कूद, व्यायाम, योगासन आदि) से रक्षा, भरण पोषण एवं संवर्धन करना है। इसके बाद तदोपरान्त अस्वस्थ्य (बीमार) व्यक्ति का औषधि (दवाओं) द्वारा उपचार कर रोगमुक्त कर स्वस्थ बनाना है।

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शारीर की अंदरूनी शक्ति जिसे हम रोगप्रतिरोधक (रोग से लड़ने कि क्षमता) कहते है, इसको दुरुस्त करने में भी योग एवं आयुर्वेद भी कारगर है। इसके तहत रात को जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना, एक ग्लास गुनगुने पानी के प्रयोग से हम अपनी पाचन शक्ति को भी सही रख सकते हैं। आयुर्वेद संकाय, बीएचयू स्थित द्रव्यगुणव विभाग के अध्यक्ष प्रो. बी राम बताते हैं कि नित्य क्रिया के उपरांत नीम, बबूल, महुआ, बकुल जो उपलब्ध हो उससे दातून करना, नित्य व्यायाम (पसीना होने तक) स्नान ध्यान के उपरांत, मट्ठा या दही का सेवन बहुत ही लाभकारी है। यह एक प्रोबायोटिक है, जिससे इंटेसटाइनल फ्लोरा मेंटेन रहती है और आंत मजबूत होती है। इससे पेट की बहुत सारी बीमारियां नहीं होती है।

यारों के साथ खुलकर हंसे : भोजन ताजा गरम, हरी साग सब्जियों (पालक, चौलाई पोय आदि) व प्रोटीन (अरहर, मुंग, मसूर, चना, मटर, सोयाबीन, मछली, पनीर आदि जो उपलब्ध हो) युक्त करना चाहिए। साथ ही फैट (वसा) व कार्बोहाइड्रीड (आलू, चावल, चीनी, मिठाई आदि) का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। संभव हो तो कृत युष (जीरा, गरम मसाला, लहसुन व हींग से छौकी दाल का प्रयोग करना चाहिए और रात्रि भोजन के उपरांत गोल्डेन मिल्क (आधा चम्मच हल्दी व एक पाव दूध पका हुआ) लेना चाहिए। दोस्त -यारों के साथ खुल कर हंसना चाहिए और सूर्य नमस्कार, वज्रासन और पाचों प्रमुख प्राणायाम जैसे नाड़ी शोधन शीतली, कपालभाती, भ्रस्तिका, भ्रामरी आदि आसनों का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।

आयुष काढ़ा भी बेहतर : कोविड-19 के इलाज में आयुष मंत्रालय द्वारा जारी आयुष–64, आयुष काढ़ा, अश्वगंधा, गिलोय व च्यवनप्राश आदि का प्रयोग पीड़ित व्यक्ति के लिए वरदान साबित हुआ है। रसोई घरों में उपलब्ध अदरक, काली मिर्च, पीपर, दाल चीनी, मुलेठी, तुलसी पत्र मुनक्का से बना काढ़ा हितकर होगा। सांस-खांसी-बुखार की स्थिति होने पर उपरोक्त द्व्यों के साथ अडूसा पत्र, हरसिंगार पत्र व गिलोय (गुरूच) युक्त काढ़े का सेवन अत्यंत फायेदेमंद होगा।

खाने की इच्छा नहीं हो तो ये करें : मुंह का स्वाद जाने व भोजन की अनिच्छा की स्थिति में अदरक (आदी) का सेवन सेंधा नमक के साथ चूसकर, भोजन करने से आधा घंटा पूर्व करना चाहिए। इन सब उपायों से न केवल कोरोना अपितु बहुत सारी बीमारियों जो इस मौसम में होती है से बचा जा सकता है।


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